पवन राय, मंडला। अयोध्याय राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर लोगों उत्साहित हैं. अलग-अलग तरीके से लोग अपनी आस्था व्यक्त कर रहे हैं. इसी कड़ी में मंडला जिले में एक रिटायर्ड टीचर ने 510 पन्ने की ग्रंथ मानस के मोती की किताब हाथों से लिखी है. यह रामचरितमानस पर आधारित शोध प्रबंध है.
मंडला जिले के अंजनिया निवासी रिटायर्ड टीचर यदुनंदन सिंह पटेल 83 ने रामायण और रामचरित मानस के भेद को सरल सहज अंदाज में लिखा है. उन्होंने 510 पन्ने के ग्रंथ मानस के मोती की किताब को हाथ से लिखा है. यदुनंदन पटेल बताते हैं कि मानस के मोती नाम का उनका यह हस्तलिखित ग्रंथ रामचरित मानस पर आधारित एक शोध प्रबंध है.
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रिटायर्ड टीचर ने तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के अद्भुत शब्दावली से करीब 500 शब्दों की खोज की है. उन्होंने अपनी कृति मानस के मोती में उन शब्दों से जुड़ी पंक्तियों का उल्लेख किया है. जो शब्द इस कांड के अंतर्गत 30 दोहे का है. इसका उल्लेख भी उन्होंने विशेष रूप से बताया है. ताकि पढ़ने वाला व्यक्ति आसानी से समझ के उसे पढ़ सके.
बताया जाता है कि इस ग्रंथ में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन से जुड़े अनेक पहलुओं को रेखांकित करने का प्रयास किया गया है. उनका यह भी मानना है कि भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र का अनुसरण कर मनुष्य अपनी जीवन यात्रा को सुगम बना सकता है. युवावस्था से ही उनका आध्यात्मिक की ओर अत्यधिक झुकाव रहा है. नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद जब उन्होंने आध्यात्मिक ग्रंथों के पठन की ओर कदम बढ़ाया. तभी मन में भाव आया कि आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ ऐसा किताब तैयार किया जाए, जो उनके हित के लिए कारगार साबित हो.
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