सदफ हामिद, भोपाल। इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2021 के विरोध में प्रदेश के बिजली कर्मी आज हड़ताल पर हैं। बिजली कर्मियों के हड़ताल में जाने से प्रदेश की बिजली व्यवस्था पूरी तरह से ठप्प हो सकती है। यहां तक कि प्रदेश आज अंधकार में डूब सकता है। इमरजेंसी सुविधाओं को छोड़कर बिजली कर्मी सभी कार्यों का पूर्णतः बहिष्कार करेंगे। हालांकि बिजली सब स्टेशन के कर्मचारी हड़ताल पर नहीं रहेंगे।
केन्द्र सरकार आज लोकसभा में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंटट बिल 2021 प्रस्तुत करने जा रही है। इस बिल के विरोध में मध्य प्रदेश के 67000 बिजली कर्मी और अधिकारियों ने कार्य का बहिष्कार कर दिया है। जिसमें 25 हजार नियमित कर्मचारी, 6 हजार संविदा कर्मचारी और 35 हजार बिजली आउटसोर्स कर्मचारी शामिल हैं।
एक दिवसीय हड़ताल पर
अपनी 18 सूत्रीय मांगों और इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2021 के विरोध में बिजली कर्मी और अधिकारी आज एक दिवसीय हड़ताल पर रहेंगे। इससे पहले 2 से 5 अगस्त तक विद्यु कर्मी एमपी यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लॉयीज एंड इंजीनियर्स के द्वारा चलाए जा रहे जागरुकता अभियान के तहत काली पट्टी लगा कर विरोध दर्ज करा चुके हैं।
एमपी यूनाइटेड फोरम संगठन के वीकेएस परिहार के मुताबिक अपनी मांगों की उपेक्षा से बिजली कर्मियों में आक्रोश गहराता जा रहा है। इसी के चलते बिजली अधिकारी व कर्मचारियों ने आज 10 अगस्त को एक दिवसीय, 24 अगस्त से 26 अगस्त तक तीन दिवसीय और 6 सितंबर से अनिश्चित कालीन कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया है। संगठन ने प्रदेश में बाढ़ ग्रस्त जिलों को इस हड़ताल से दूर रखा है।
बिजली कर्मियों की ये है मांगें
- केंद्र सरकार वितरण कंपनियों के निजीकरण के लिए प्रस्तावित विद्युत सुधार अधिनियम-21 लागू न करे।
- सभी वर्गों के संविदा विद्युत कर्मियों को आंध्र और बिहार की तरह नियमिय किया जाए।
- ठेका कर्मियों की सेवा सुरक्षित रखते हुए तेलंगाना/दिल्ली व हिमाचल प्रदेश की तरह भर्ती की जाए।
- विद्युत कंपनी के सभी अधिकारी कर्मचारीयो को फ्रंट लाइन कर्मचारियों की श्रेणी में रखकर मुख्यमंत्री कोविड-19 का लाभ दिया जाए।
- रिटायर होने के बाद लंबित ग्रेच्युटी, जीपीएफ, अवकाश नकदीकरण,पेंशन आदि वर्षों से लंबित देय भुगतान तत्काल किया जाए।
- विद्युत कंपनियों में वरिष्ठता और उच्चवेतनमान के आधार पर सभी वर्गों में रिक्त उच्च पदों के चालू प्रभार प्रदान किए जाएं और रिक्त पदों को भरा जाए।
- मध्य प्रदेश शासन के नियमानुसार सभी प्रकार के मृत्यु प्रकरणों में विद्युत अधिकारी-कर्मचारयों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए।
- राष्ट्रीय पेंशन योजना में शासकीय अंशदान वेतन और मंहगाई भत्ते का 14 प्रतिशत किया जाए।
- नियामक आयोग के निर्देशानुसार 750 करोड़ रुपये की राशि पेंशन ट्रस्ट में जमा कर उत्तर प्रदेश शासन की तरह राज्य शासन पेंशन गारंटी लेकर पेंशन का भुगतान ट्रेजरी से कराए।
- सातवे वेतनमान की विसंगतियों का निराकरण किया। इसमें वर्ष 2006 के पूर्व एवं बाद में नियुक्त अभियंताओं में वर्गीकरण किया गया है।
- ट्रांसमिशन कंपनी में नियुक्त आईटीआई की योग्यता रखने वाले परीक्षण सहायक को तृतीय श्रेणी में रखकर 2500 रुपये का ग्रेड-पे निर्धारित किया जाए।
- वर्ष 2018 के बाद नियुक्त अधिकारी कर्मचारियो के लिए पुरानी वेतन व्यवस्था लागू की जाए।
- अनुभाग अधिकारी के ग्रेड पे को राज्य शासन के वित्त विभाग के आदेशा अनुसार 4400/ में संशोधित ग्रेड पे 4200/-से 4800/-के समान वृद्धि की जाए।
- वेतनमान से संबंधित सभी वर्गों की विसंगतितियो का निराकरण किया जाए।
विद्युत मंडल की सभी उत्तरवर्ती कंपनियों में मानव संसाधन से संबंधित नियमो में एक रूपता प्रदान की जाए। - कंपनी कैडर में कार्यरत सभी नियमित और संविदा कर्मचारियों को गृह जिले में पदस्थ करने की नीति लागू की जाए।
- कंपनी कैडर के सभी नियमित और संविदा कर्मचारी-अधिकारियों को 50 प्रतिशत और सेवानिवृत कर्मचारी-अधिकारियों को बिजली बिल में 25 प्रतिशत छूट दी जाए।
- केंद्र के द्वारा घोषित महंगाई भत्ते और 2 वर्षों से रोकी गई वेतन वृद्धि लागू कर बकाया राशि का भुगतान किया जाए।
- सभी कंपनियों में संगठनात्मक संरचना पुनर्गठित कर ख़ली पदों को तत्काल भरा जाए।