शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश में अवकाश के दौरान मध्यान्ह भोजन बांटे जाने का मामला सामने आते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया है। उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए गए हैं। इसी मामले से जुड़ी एक बड़ी कार्रवाई की गई है जहां प्रभारी शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। मिड डे मील आवंटन को लेकर विभाग ने सफाई देते हुए कहा कि शिक्षकों ने गलती से रिपोर्टिंग की है। गर्मी की छुट्टी में सरकारी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन का वितरण नहीं किया जा रहा है।
MP में मिड डे मील के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा: 1 मई से स्कूल बंद, फिर भी कागजों में बांटा जा रहा मध्याह्न भोजन
दरअसल मध्यान्ह भोजन को लेकर प्रदेश के 23 जिलों में आर्थिक गड़बड़ी का मामला सामने आया था। कांग्रेस पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने इस मुद्दे उठाया था। जांच के दायरे में 49 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों को शामिल किया गया है। बच्चों को सरकारी भोजन का मामला कुल 23 जिलों का है। छोटे स्तर पर हुई इस बड़ी धांधली को केंद्र सरकार ने पकड़ा। साथ ही राज्य सरकार को पत्र लिख कर तत्काल जांच और कार्रवाई का निर्देश दिया।
दरअसल, मध्यप्रदेश में 1 मई से ग्रीष्मकालीन अवकाश जारी है। 15 जून के बाद स्कूल खुलेंगे। लेकिन, 23 जिलों में न सिर्फ कागजों में भोजन बांटा जा रहा है। बल्कि जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर भी दर्ज की गई। गड़बड़ी को छिपाने के लिए अवकाश के दिनों को छोड़ कर बाकि तारीखों में एंट्री की गई।
बता दें कि प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण कार्यक्रम के आटो मॉनिटरिंग सिस्टम में मिड डे मील की जानकारी दर्ज की जाती है। बता दें कि प्राथमिक स्कूल के बच्चों को पांच और माध्यमिक विद्यालय के बच्चों को सात रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से भुगतान किया जाता है। यह काम भी समूहों द्वारा कराया जाता है। गड़बड़ी करने वाले जिलों में राजधानी भोपाल का नाम भी शामिल है।
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