शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश में मिशन 2023 की तैयारी शुरू हो गई है। राजनीतिक दलों में रूठे और नाराज लोगों को मनाने का क्रम भी शुरू हो गया है। सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी पार्टी कांग्रेस के अलावा राज्य में सक्रिय आदिवासी संगठन जयस (जय आदिवासी युवा शक्ति) में भी गुटबाजी शुरू हो गई थी। संगठन में दो फाड के कारण आने वाले विधानसभा में कार्यकर्ताओं के बिखरने की संभावना बन रही थी। इसे देखते हुए और संगठन की एकता को बनाए रखने दोनों गुटों के नेताओं में आपसी समझौता हो गया है। दोनों गुट के नेताओं ने हाथ मिलाकर एवं एकसाथ आकर आगामी चुनाव में ताल ठोंकने का ऐलान भी कर दिया है।

बता दें कि मध्यप्रदेश के सबसे बड़े आदिवासी संगठन जयस में भी अन्य राजनीतिक दलों की तरह गुटबाजी शुरू हो गई थी। अब जयस आदिवासी संगठन के दो गुटों में समझौता हो गया है। खलघाट में जयस के सभी गुटों के बीच हुई बैठक में हीरालाल अलावा, विक्रम अछालिया, महेंद्र कन्नौज ने हाथ मिलाया है। हीरालाल अलावा, विक्रम अछालिया, महेंद्र कन्नौज जयस के संस्थापक सदस्य माने जाते हैं। धार जिले के खलघाट में जयस के बीच महागठबंधन हुआ है। आदिवासी सीटों पर इस संगठन का खासा प्रभाव बताया जाता है। सूत्रों की मानें तो करीब 50 आदिवासी बाहुल्य सीटों पर जयस का असर है। जयस ने 2023 में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

महागठबंधन की बैठक में उपस्थित जयस कार्यकर्ता

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