मनोज उपाध्याय, मुरैना। मुरैना जिले में जहरीली शराबकांड का दंश कई परिवारों को झेलना पड़ रहा है. हंसते-खिलखिलाते कई परिवारों में सन्नाटा पसरा हुआ है. जहरीली शराब ने कइयों का रोजगार छीन लिया है. जान बचाने वालों का जहान पहले जैसे नहीं है. पहले जो ट्रक को कंट्रोल करता था. अब वह खुद लाठी के सहारे से चलने को मजबूर है. वहीं पीने वाले ही नहीं बेचने वालों की भी दुनिया जहरीली शराब ने जीवनभर के दर्द और अंधेरे में झोंक दी है. प्रशासन ने शराब माफिया के आशियाने उजाड़ दिए हैं.

11 जनवरी 2021 को मानपुर पृथ्वी गांव में बनी जहरीली शराब ने खूब कोहराम मचाया था. शराब पीने से 28 लोगों की मौत हुई थी. मौतों का सिलसिला 12 दिन तक चला. 28 मृतकों में से 12 मृतक तो मानपुर पृथ्वी गांव के ही थे. जहरीली शराब कांड से एसपी-कलेक्टर को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी. जौरा एसडीओपी और बागचीनी का पूरा पुलिस स्टाफ सस्पेंड हुआ था. वहीं 28 में से 27 मृतकों के परिजन को प्रशासन, जनप्रतिनिधि और समाजसेवियों से कुल डेढ़-डेढ़ लाख की सहायता राशि मिली थी, जो एक साल में खर्च हो गई. अब कई परिवारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है.

जहरीली शराब ने ट्रक ड्राइवर की छीन ली आंखों की रोशनी

मानपुर पृथ्वी गांव का 35 वर्षीय परसादी शाक्य करीब 10 साल से ट्रक चला रहा था.।बीते साल वह मकर संक्रांति मनाने अपने गांव आया था. 11 जनवरी को उसने अपने बड़े भाई रमेश शाक्य के साथ मिलकर शराब पी. शराब पीने के बाद पेट में तेज दर्द हुआ, फिर उल्टी आना शुरू हुई. रमेश और प्रसादी बताते हैं, कि लगातार उल्टियां होने के बाद आंखों के सामने अंधेरा छा गया. 10 दिन अस्पताल में रहे, जहरीली शराब से जान तो बच गई, लेकिन आंखों के सामने छाया अंधेरा दूर नहीं हुआ.  रमेश शाक्य को तो धुंधला सा नजर आता भी है, लेकिन ट्रक ड्राइवर परसादी की आंखों की रोशनी चली गई है. ट्रक को सड़क पर दौड़ाने वाला परसादी अब आंखों से लाचार होकर खुद चल नहीं पा रहा है. लाठी के सहारे धीरे-धीरे चलता है. इसी तरह मिनी लोडिंग पर ड्राइवरी करने वाला सुनील शाक्य भी जहरीली शराब से अपनी आंखों की रोशनी खो चुका है. नकली शराब बेचने वाला रामवीर राठौर भी पूरी तरह अंधा हो गया, जो अभी जेल में है.

बच्चों का पेट भरने के लिए मजदूरी कर रही सरबती

वहीं केदार जाटव की मौत के बाद उसकी पांच बेटी और एक बेटे को उसकी पत्नी सरबती पाल रही है. सरबती ने लल्लूराम.डॉट कॉम को बताया कि पति के मौत के बाद बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उसके कंधों पर आ गई है. घर का काम अधूरा पड़ा हुआ है. छत के लिए पैसे नहीं थे तो भाई ने आकर झोंपड़ी बनाई. वहीं गांव से बाहर खेतों पर झोंपड़ी बनाकर रह रामबाई राठौर ने बताया कि उसके पति रामजीलाल की मौत के बाद अफसरों ने पीएम आवास देने का वादा किया जो अब तक नहीं मिला. इसीलिए खेतों में झाेंपड़ी बनाकर रह रही हैं.

शराब पीने से हमारे पापा हमें छोड़ के चले गए यह कहते हुए मुस्कान बताती है कि हमारे घर में कमाने वाले हमारे पापा ही थे और अब मैं और मेरी माँ घर में बीड़ी बनाने का काम करते है जिससे कुछ पैसे आते है तो घर का खर्चा चल जाता है. पापा की मौत के बाद पढ़ाई प्रभावित हुई है.

आरोपियों की गलती की सजा भुगत रहा परिवार

जहरीली शराब कांड और 28 मौतों के बाद प्रशासन ने जहरीली शराब बनाने, बेचने और नकली शराब के लिए केमिकल उपलब्ध कराने वाले तस्करों की जिंदगी बर्बाद और मकान जमींदोज कर दिए.  इस घटना के सभी आरोपी जेल में हैं. इनमें से एक रामवीर राठौर जहरीली शराब पीने से अंधा हो चुका है. प्रशासन ने छैरा गांव में आरोपी मुकेश पुत्र भोगीराम किरार का मकान, मानपुर पृथ्वी गांव के गिर्राज किरार, बृजकिशोर उर्फ पप्पू पंडित, कल्ला पंडित और रामवीर राठौर और उसके बेटे प्रदीप राठौर के मकान को जेसीबी से जमींदोज कर दिया.  मकान ध्वस्त होने के बाद इनके परिवार के सदस्य भी दूसरी जगहों पर जाकर किराए के मकान या फिर रिश्तेदारों के यहां रह रहे हैं.

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