मनोज उपाध्याय, मुरैना। ओमान के मस्कट में फंसा मुरैना का युवक मंगलवार को वतन लौट आया। केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के निर्देश के बाद मस्कट में फंसे मुरैना के सुल्तान की देश वापसी हुई है। सुल्तान के सकुशल वापस जाने पर परिजनों में खुशी का माहौल है। वहीं सुल्तान ने जिला प्रशासन और मदद करने वाले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और समाज सेवक सैयद आबिद हुसैन उर्फ बजरंगी भाईजान का आभार जताया है। अब बताते हैं सुल्तान कैसे पहुंचा था ओमान..

दरअसल, कैलारस थाना क्षेत्र के रिठौनिया गांव में रहने वाले सुल्तान उडीसा में एक गैस प्लॉट में मजदूरी करता था। उसकी राजेन्द्र उर्फ दिलीप से मुलाकात हुई। राजेन्द्र उसे आठ गुना ज्यादा पैसे दिलाने का लालच दिया और विदेश जाने के लिए बीजा बनवाया। उसी ने एयरपोर्ट का टिकट बुक किया। जिसके बाद सुल्तान मुरैना स्टेशन से ट्रेन के द्वारा दिल्ली 3:30 बजे पहुंचा। जहां से फ्लाइट से मस्कट पहुंच गया। 17 अक्टूबर की सुबह 9:30 बजे पत्नी को फोन पर बताया कि वह पहुंच गया है। 18 अक्टूबर को उसने फिर पत्नी को फोन कर बताया कि मैं यहां गलत जगह फंस गया हूं। राजेन्द्र मुझे कमरे पर छोड़कर मेरा बीजा लेकर गायब हो गया है। मेरा पासपोर्ट समीर खान निवासी केरल को दे दिया है। समीर मुझे मेरा पासपोर्ट नहीं दे रहा है। जिसके बाद उसकी पत्नी ने भारतीय दूतावास में पहुंचकर अपने पति को वापस लाने का अनुरोध किया, लेकिन वहां पर उससे दो लाख रुपए की मांग की गई। जिससे वह लौटकर मुरैना आ गई और स्थानीय स्तर पर अधिकारियों से अपने पति को किसी तरह वापस लाने की गुहार लगाई।

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बीते मंगलवार को सुल्तान की पत्नी ने एसपी आशुतोष बागरी को आवेदन देकर अपने पति की देश वापिसी की गुहार लगाई थी। एक महीने से मस्कट में फंसे युवक की जानकारी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर तक पहुंची, उसके बाद जिला प्रशासन ने सुल्तान को मस्कट से लाने के प्रयास शुरू किए और सोमवार की शाम वह मस्कट से दिल्ली पहुंचा और सुल्तान मंगलवार को अपने घर आ गया। सैयद आबिद हुसैन उर्फ बजरंगी भाईजान ने भी सुल्तान को लाने में काफी मदद की।

सुल्तान ने बताया कि मैं ग्राम रिटोनिया तहसील कैलारस का निवासी हूं। 16 अक्टूबर को मस्कट गल्फ कंट्री मजदूरी करने के लिए गया था, जिनके सहारे काम करने गया था। उन लोगों ने मुझे धोखा दे दिया और मेरे पासपोर्ट और पेपर छीन कर मुझे अकेला छोड़ दिया था। जहां मैं पिछले 1 माह से भूखा प्यासा भटकता रहा। वापस आने का कोई साधन नहीं था। केंद्रीय मंत्री, जिला प्रशासन और समाजसेवियों की सहायता से मेरा भारत आना संभव हुआ।

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