मनोज उपाध्याय, मुरैना। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में राष्ट्रीय पक्षी मोर सुरक्षित नहीं हैं। रविवार को कुत्तों ने हमला कर एक मोर को घायल कर दिया। पक्षी प्रेमी द्वारा घायल मोर को जिला पशु अस्पताल ले जाया गया, जहां उपचार की न तो कोई सुविधा मिली और ना ही कोई दवा। यहां से निराश लौटने के बाद वन विभाग से मोर की इलाज और सुविधा के लिए बात की तो वन विभाग के जिम्मेदारों ने भी हाथ खड़े कर दिए। दोनों विभागों की उपेक्षापूर्ण रवैया से पक्षी प्रेमी को निराशा हाथ लगी।
बताया जाता है कि मोर पक्षी के नाम से ही मध्यप्रदेश के इस जिले का नाम मुरैना पड़ा है। मुरैना का पुराना नाम मयूर वन था। क्षेत्र में आज भी मोरों की संख्या बहुत अधिक हैं। जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते क्षेत्र में मोरों के साथ कई घटनाएं घट रही है और राष्ट्रीय पक्षियों की मौतें भी हो रही है। आज कुत्तों द्वारा घायल मोर को पक्षी प्रेमी हेमू शर्मा जिला पशु अस्पताल लेकर पहुंचे तो डॉक्टरों ने साफ शब्दों में कह दिया कि इसके उपचार की कोई सुविधा नहीं है।
कहा कि इसे वन विभाग को सौंप दे। जब वन विभाग से फोन पर बात की और बताया कि मोर का जिला पशु अस्पताल में उपचार नहीं हो रहा, आप इसका उपचार कराएं। वन विभाग के एसडीओ ने कड़े शब्दों में कहा कि यहां भी इलाज नहीं होता।अस्पताल में ही इलाज होगा, यहां तो बस देखरेख के लिए लाया जाता है। अगर इसी तरीके से जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं देंगे तो कुछ दिनों में मुरैना की पहचान के मोर लुप्त हो जाएंगे। जिस राज्य में राष्ट्रीय पक्षी की इलाज की संसाधन उपलब्ध ना हो तो इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा।
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