दीपक कौरव,नरसिंहपुर। आजादी के 75 वर्ष बाद भी देश का आदिवासी समाज अपने भोलेपन के कारण ठगा जा रहा है। एक गांव में दो महिलाओं के एक से नाम होने के कारण इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया व बैंक की विश्वसनीयता को बट्टा लगाया गया। उपभोक्ताओं का विश्वास बना रहे इसलिये अब बैंक के उच्चाधिकारियों को बेहद गंभीरता से इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए। मामला नरसिंहपुर जिले के करेली वन परिक्षेत्र अंतर्गत आने वाले वनांचल ग्राम भिलमाढ़ाना का है। 

भिलमाढ़ाना गांव में हड़कंप

बैंकों में दलालों की घुसपैंठ और बैंक अधिकारियों से सांठगांठ कर फर्जी दस्तावेज तैयार करके 10 साल पहले मृत महिला के नाम लाखो रुपयों का केसीसी लोन निकालने का काला कारनामा सामने आया हैं। करेली यूनियन बैंक में एक ही नाम की दो अलग-अलग महिलाओं के दस्तावेजो से छेड़छाड़ करते हुए ये फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया गया हैं। मामले का पता चलते ही भिलमाढ़ाना गांव में हड़कंप मच गया। पंचायत बैठी और तुरंत ही मृतक महिला के पति और जीवित महिला ने फर्जीवाड़े की अलग-अलग थाने में बैंक मैनेजर सहित दलालों की नामजद शिकायत भी दर्ज कराई है।

ये है पूरा मामला

करेली वन परिक्षेत्र अंतर्गत आने वाले वनांचल ग्राम भिलमाढ़ाना में एक ही नाम की दो महिलाएं सुकरती बाई रहती हैं। जिसमें से एक महिला सुकरती बाई पिता भूरा भरिया व पति सन्नू भरिया करीब 10 साल पहले 20 अगस्त 2013 को निधन हो गया था। जिसके नाम से इसी साल बैंक द्वारा 23 जनवरी 2023 को मौजा भिल्माढ़ाना तहसील गाडरवारा के कृषि रकवा करीब 4 हेक्टयर भूमि पर 7 लाख 60 का किसान क्रेडिट ऋण दिया गया। जबकि महिला की 10 साल पहले ही मौत हो चुकी हैं। वहीं लोन में मृत महिला सुकरती के जमीन के दस्तावेज लगाकर, दूसरी सुकरतीबाई पति राजबली भरिया निवासी भिल्माडाना के आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज के साथ जीवित महिला को बैंक बुलाकर लोन की राशि दी गई। जबकि जीवित सुकरती बाई के पास बैंक में दर्ज कृषि रकबा हैं ही नही।

हितग्राहियों को अंधेरे में रखा

मृत महिला सुकरती बाई के पति सन्नू भरिया ने बताया कि हम लोगों ने किसी प्रकार का लोन करेली यूनियन बैंक से नही लिया हैं। मृतक पत्नी की फ़ौत दर्ज करने के लिये आवेदन के दौरान मिले दस्तावेजो से पता चला कि मेरी पत्नी के नाम से फर्जी दस्तावेज से जमीन पर 7 लाख 60 हजार का लोन की धोखाधड़ी हुई हैं। जिसके लिये डोंगरगांव पुलिस चौकी में लिखित शिकायत की हैं। वही दूसरी सुकरती बाई ने स्वयं करेली थाने में लिखित शिकायत दर्ज करते हुए बताया है कि मैंने मुद्रा लोन के लिये यूनियन बैंक की करेली शाखा एक दलाल ने आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज लेकर एक लाख का लोन दिलाने के लिये बैंक बुलाया था। एक लाख देकर मुझे घर जाने को कह दिया। बाद में अब पता चल रहा हैं कि मेरे ही दस्तावेजों को लगाकर ये लोन लिया गया हैं। जो कि मेरी जानकारी के बगैर हुआ हैं।

7 लाख 60 हजार में दिए मात्र 1 लाख रुपये 

पूरे मामले से स्पष्ठ हैं कि तत्कालीन बैंक मैनेजर और बैंक के दलाल ने मिलकर दो महिलाओं के एक जैसे नाम का फायदा उठाया हैं और एक साथ दो परिवारों के साथ धोखाधड़ी की 7 लाख 60 के केसीसी लोन राशि में बंदरबांट किया हैं। जिसमें मृतक परिवार को जानकारी नही होना और जीवित महिला को मुद्रालोन बताकर साढ़े सात लाख की लोन राशि में महज एक लाख की लोन राशि दी गई हैं। जो कि बड़े ही शातिराना तरीके से धोखाधड़ी उजागर कर रही हैं। जबकि किसी भी लोन के लिये दस्तावेजो का सत्यापन और सूक्ष्म पड़ताल भी होती हैं।

ड्यू डिलिजेंस की अनदेखी

एक रिटायर्ड बैंक अधिकारी ने जानकारी दी की बैंक में केसीसी ऋण प्राप्त करने के लिए पहले कृषक से उसकी भूमि के दस्तावेज और केवाईसी प्राप्त की जाती है फिर सिबिल स्कोर चेक किया जाता हैं। सब ठीक होने पर बैंक अधिकारी कृषक के घर और कृषि भूमि का निरीक्षण करने जाते हैं और वहां बैंक के नियमों के अनुसार ड्यू डिलिजेंस करते हैं। फिर कृषि भूमि की सर्च करवाई जाती हैं और बैंक में बचत खाता खुलवाया जाता हैं। सर्च रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ऋण स्वीकृत किया जाता हैं और ऋण दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए जाते हैं। फिर ऋण वितरण किया जाता हैं। किसी भी नए ऋण प्रकरण में इतनी कार्रवाई अनिवार्य होती हैं। आम तौर पर जनधन खाता में ऋण वितरण नहीं किया जाता हैं।

कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह

इस मामले में यूनियन बैंक करेली की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिया हैं। जहां किसी भी लोन के लिए हितग्राही को बैंक के सैकड़ो चक्कर काटने पड़ते हैं। तब जाकर एक लोन हो पाता है। लेकिन यहां तो एक ही दिन में खाता खुलने से लेकर फायनेंस और लोन राशि की निकासी भी हो गई है। बैंक दस्तावेजों में सुकरती बाई का जनधन बचत खाता 23 जनवरी 2023 को ही खुलवाया गया और उसी दिन सात लाख साठ हजार का ऋण स्वीकृत कर, सात लाख वितरण भी कर दिया गया। अभी कुछ माह पहले भी ग्राम गरहा के एक कृषक ने यूनियन बैंक के मेनेजर अरविन्द आर्य के खिलाफ धोखाधड़ी का आवेदन दिया था। जिसकी   जांच चल रही है।
अच्छे लोग अच्छा बैंक को बट्टा 

अच्छे लोग अच्छा बैंक स्लोगन से शुरू हुए यूनियन बैंक को उसके ही अधिकारी बट्टा लगा रहे है। उच्चाधिकारियों को बैंक साख की चिंता करनी होगी। आदिवासियों के साथ शोषण और धोखाधड़ी फर्जीवाड़ा को अंजाम देने वालो पर सख्त कार्रवाई करनी होगी, अन्यथा बैंक से ग्राहकों का मोह भंग हो जाएगा। 

इनका कहना है 

मामले में नरसिंहपुर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि दो समान नाम की महिलाओं के साथ बैंक धोखाधड़ी के मामले की शिकायत की जानकारी सामने आयी है, जिसमें एजेटों की मिलीभगत से गडबड़ी हुई है। मामला गंभीर है इसलिए एसआईटी का गठन करके बैंक के साथ मिलकर इसकी सूक्ष्म पड़ताल करेंगे।

डीजीएम ने कही ये बात 

मामले में डीजीएम सलज सिन्हा ने कहा कि जानकारी अब तक मेरे संज्ञान में नही आई है पीड़ितों को पुलिस के अलावा बैंक में सूचना देनी होगी। यदि कोई गड़बड़ी हुई है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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