दीपक कौरव, नरसिंहपुर। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के पाठ्यक्रम वाले बयान पर शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि हम सनातन, संस्कृति को मानने वाले लोग हैं. पहले हम अपना ज्ञान प्राप्त कर ले, फिर बगल वाले का करेंगे. आदमी पहले अपने गांव का विकास करता है, फिर अलग खिसक कर जाता है.
शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने आगे कहा कि पहले अपनी संस्कृति को जानने, फिर अलग बगल में जानने की कोशिश करेंगे. हमारी संस्कृति में विश्व के कल्याण की कल्पना करते है, तो विश्व के कल्याण में जीजस भी आते हैं. रामायण-महाभारत भी आते हैं. कुरान भी आते हैं. इस तरह की बात करके समाज को बिखेरने का काम नही करना चाहिए.
गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह ने कहा था कि भगवान राम और कृष्णा हमारे आदर्श है. भगवान राम और कृष्ण के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए, जिससे हमारे समाज को सीखने को मिले. राम और कृष्ण के अलावा दूसरे धर्म के धर्म गुरुओं के बारे में भी पढ़ाना चाहिए. लेकिन सवाल यह भी है कि क्या गुरु नानक को नहीं पढ़ना चाहिए ? क्या जीजस को नहीं पढ़ाना चाहिए और क्या मोहम्मद साहब के बारे में नहीं पढ़ाना चाहिए ? उन्होंने कहा कि मेरा तो ऐसा मानना है कि सभी धर्म के धर्म गुरुओं के विचारों को पढ़ाया जाए.
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