अजयारविंद नामदेव, शहडोल। एक ओर सरकार आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के उद्देश्य से निःशुल्क 108 एंबुलेंस सेवा उपलब्ध करा रही है, ताकि आपात स्थिति में समय पर मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जा सके। लेकिन शहडोल जिले की हकीकत इस दावे को पूरी तरह झुठलाती नजर आ रही है।
लोगों को धक्का देकर बढ़ाना पड़ा आगे
ताजा मामला सिंहपुर रोड स्थित पोंडा नाला के पास सामने आया है, जहां 108 एंबुलेंस अचानक खराब हो गई। न केवल एंबुलेंस से धुआं निकलता दिखा, बल्कि वह सड़क पर ही बंद हो गई, जिससे उसे लोगों को धक्का देकर आगे बढ़ाना पड़ा। मौके पर मौजूद लोगों ने इस पूरी घटना का वीडियो भी बनाया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
एंबुलेंस में मरीज होता तो जान पर बन आती
यह दृश्य न केवल शर्मनाक है, बल्कि गंभीर सवाल भी खड़े करता है। कल्पना कीजिए अगर उस समय एंबुलेंस में कोई गंभीर मरीज होता तो क्या होता? क्या इस खस्ताहाल वाहन में बैठे मरीज की जान बच पाती? इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और सरकारी तंत्र की हकीकत उजागर कर दी है।
करोड़ों की लागत से संचालित 108 सेवा की जिम्मेदारी कौन लेगा?
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिले में चल रही कई 108 एंबुलेंसें लंबे समय से मेंटेनेंस के अभाव में चल रही हैं। न तो समय पर इनकी सर्विसिंग हो रही है और न ही वाहन की तकनीकी जांच की जाती है। जिससे एंबुलेंस दुर्घटना या खराबी की स्थिति में मरीजों के लिए खतरा बन जाती है। अब बड़ा सवाल यह है कि करोड़ों की लागत से संचालित 108 सेवा की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या स्वास्थ्य विभाग इस पर ध्यान देगा या फिर ऐसे ही जर्जर वाहन लोगों की जान से खिलवाड़ करते रहेंगे।
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