हर्षित तिवारी, खातेगांव(देवास)। मध्यप्रदेश के देवास और सीहोर जिले की सीमा पर स्थित काकेड़ी नदी पर दो जिलों को जोड़ने वाला पुल पानी में डूब गया है। इस पुल से पीपलनेरिया और छीपानेर गांव के लोग हर दिन नदी को पार कर रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते हैं। स्कूल जाना हो, अस्पताल पहुंचना हो या बाजार इसी रास्ते से जाते हैं। नदी पर बनने वाला पुल अब राहत नहीं, लोगों के लिए मुसीबत साबित हो रहा है। इसकी वजह – एक अधूरा, अव्यवस्थित और सरकारी प्रोजेक्ट के तहत बनने वाला पुल (ब्रिज) है।
जलस्तर बढ़ने से पुल नदी में डूब गया
कुछ साल पहले मीडिया में एक खबर चली थी कि कैसे ग्रामीण हर दिन जान हथेली पर रखकर नाव और रस्सी के सहारे नदी पार करते हैं। इस रिपोर्ट के वायरल होते ही शासन हरकत में आया और करोड़ों रुपये की लागत से एक पुल निर्माण की घोषणा हुई। ठेका दिया गया, मशीनें आईं, नींव रखी गई और लोगों को उम्मीद हुई शायद अब मुसीबतें खत्म हो जाएंगी। लेकिन जैसा अक्सर होता है, यहां भी हुआ। ठेकेदार ने काम समय सीमा में पूरा नहीं किया। काम में देरी होती रही, वर्षों तक ब्रिज अधूरा पड़ा रहा। फिर किसी तरह ब्रिज बन गया लेकिन ऐसी ऊंचाई पर नहीं जैसा की नदी के जल स्तर को देखकर जरूरी था। नतीजा यह हुआ कि जैसे ही बारिश आई, नदी में पानी बढ़ा और करोड़ों की लागत से बना पुल पानी में डूब गया।
नाव से उम्मीद, पुल से मायूसी
इस समय काकेड़ी नदी उफान पर और पुल पानी के नीचे है। ग्रामीण एक बार फिर उसी स्थिति में लौट आए जहां से चले थे। नाव और रस्सी के सहारे सफर। दिनभर करीब 80-90 बाइक, पुरुष, बच्चे, महिलाएं, बुज़ुर्ग और किसान इस पार से उस पार जान जोखिम में डालकर पहुंचते है। कई बार नाव डगमगाती है, बच्चे डरते हैं, महिलाएं कांपती हैं, लेकिन कोई चारा नहीं है।
सरकारी तंत्र की असफलता
यह मामला सिर्फ एक पुल का नहीं है, बल्कि सरकारी तंत्र की असफलता का उदाहरण है। निर्माण का ठेका देने के बाद उसकी मॉनिटरिंग नहीं हुई। समय पर गुणवत्ता जांच नहीं हुई। नतीजा -एक ऐसा ब्रिज बना, जो एक सीजन भी नहीं टिक पाया। ब्रिज की ऊंचाई इतनी कम है कि नदी में जरा सा पानी बढ़ा नहीं कि वह पानी में समा जाता है। बारिश के मौसम में तो यह पूरी तरह अदृश्य हो जाता है।
वैकल्पिक व्यवस्था की जाए
ग्रामीणों की मांग है कि ब्रिज की ऊंचाई बढ़ाई जाए, दोबारा इंजीनियरिंग टीम से जांच करवाई जाए और ठेकेदार पर कार्रवाई की जाए। जब तक यह काम नहीं होता, तब तक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नाव सेवा और सुरक्षा के लिए पुलिस व्यवस्था की जाए। देवास और सीहोर की सीमाओं पर बहती काकेड़ी नदी इस वक्त सवाल पूछ रही है उन अफसरों, इंजीनियरों और नेताओं से, जिन्होंने आंखें मूंदकर एक ब्रिज बनवा दिया।
पुल की ऊंचाई 5-7 फीट बढ़ाई जाए
ग्रामीणों ने बताया कि ब्रिज निर्माण की प्रक्रिया कई साल पहले शुरू हुई थी। शुरुआत में यह उम्मीद जताई गई थी कि इससे सीहोर और देवास जिले को जोड़ने वाला यह प्रमुख मार्ग वर्षा ऋतु में भी सुचारु रूप से संचालित रहेगा और क्षेत्र की आर्थिक, सामाजिक प्रगति को बल मिलेगा। लेकिन निर्माण की धीमी रफ्तार और लापरवाही ने इस उद्देश्य को अधूरा छोड़ दिया है। ग्रामीणों ने कहा कि इस पुल की ऊंचाई 5-7 फीट बढ़ाई जाए।
निर्माण में थोड़ा विलंब हो रहा
मामले में भेरूंदा एसडीएम मदन रघुवंशी ने कहा कि-देवास सीहोर को जोड़ने वाली काकेड़ी नदी पर ब्रिज निर्माण में थोड़ा विलंब हो रहा है। संबंधित ठेकेदार एवं विभाग को पहले भी अवगत कराया है। अब दोबारा अवगत कराएंगे जिससे ग्रामीणों को असुविधा ना हो।

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