अनमोल मिश्रा, सतना। देश की रक्षा के लिए सरहद पर जान की बाजी लगाने वाले सेना का जवान अपने ही परिवार की सुरक्षा और उनके साथ हुई मारपीट की निष्पक्ष जांच के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है. दरअसल मामला मध्य प्रदेश के सतना ज़िले के जैतवारा थाना अंतर्गत संग्राम टोला का है। जहां दबंगों ने बीएसएफ जवान की पत्नी के साथ मारपीट की और उसको जबरदस्ती जहर युक्त पदार्थ खिलाया। दबंगों ने जवान के भाई और भाई की गर्भवती पत्नी के साथ भी बेरहमी से मारपीट की जिसके कारण गर्भवती सुधा सिंह का गर्भपात हो गया। जवान की पत्नी उनके भाई ज्ञानेंद्र और उनकी पत्नी ने थाने पहुंच कर शिकायत दर्ज कराई, जिस पर पीड़ितों की एमएलसी कराई गई। 

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पीड़ितों ने बताया की एमएलसी में बीएसएफ जवान की पत्नी को जहर दिए जाने और उनके भाई की पत्नी सुधा के साथ हुई मारपीट के कारण दो माह के गर्भपात हो जाने की जानकारी एमएलसी रिपोर्ट में आई। लेकिन हैरानी की बात यह है कि जैतवारा थाने में पदस्थ मामले की विवेचना कर रहे प्रधान आरक्षक अभिषेक शुक्ला द्वारा पीड़ित परिवार के मामले को दबाने और आरोपियों को बचाने असल तथ्यों को छुपाया गया। पीड़ितों के कथन अनुसार मारपीट की वजह से गर्भपात हो जाने से और जवान की पत्नी को ज़हर दिए जाने की एमएलसी रिपोर्ट जांच रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया।  

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इससे आहत बीएसएफ जवान, उनकी पत्नी, भाई ज्ञानेंद्र सिंह उनकी पत्नी सुधा सिंह थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक अभिषेक शुक्ला द्वारा मामले की जांच को प्रभावित करने और मामले के असल तथ्यों को छिपा कर दोषियों को बचाने की शिकायत पर पुलिस अधीक्षक सतना हंसराज सिंह से मिलकर मामले की निष्पक्ष जांच और जैतवारा थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक पर कार्रवाई करने की मांग की। जिसपर पुलिस अधीक्षक सतना ने जल्द ही मामले की जांच कर न्यायोचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

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