कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में अंबेडकर मूर्ति स्थापना को लेकर विवाद के बीच अब एक और नए धाम का ऐलान मूर्ति का विरोध करने वालों ने कर दिया है। जिले के जौरासी में बन रहे अंबेडकर धाम को सियासी टक्कर देने के लिए अब बीएन राव धाम बनाने का ऐलान किया है। मतलब मामला अब अंबेडकर धाम वर्सेस बीएन राव धाम हो गया है।
संविधान निर्माता टाइटल को लेकर नई राजनीतिक बहस छिड़ी
दरअसल ग्वालियर चंबल अंचल में एक बार फिर जातिगत राजनीति जोर पकड़ रही है, जिसकी शुरुआत ग्वालियर हाईकोर्ट परिसर में डॉ भीमराव अंबेडकर की मूर्ति स्थापना के विवाद के साथ हुई। जैसे ही इस मसले में जातिगत राजनीति करने वाले संगठन कूदे, वैसे ही अब संविधान निर्माता टाइटल को लेकर भी नई राजनीतिक बहस छिड़ गई है। एक बड़ा वर्ग अंबेडकर को संविधान निर्माता मानने से इनकार कर चुका है। ऐसे लोग संविधान का असली निर्माता सर बी एन राव को बता रहा है। जिले के जौरासी में शासन द्वारा जारी करोड़ों की राशि से अंबेडकर धाम का तेजी से निर्माण हो रहा है। वहीं राव के समर्थकों ने भी बीएन राव धाम का निर्माण का ऐलान किया है।
इतिहास में बहुत कुछ छुपाया गया
बीएन राव समर्थक सुनील पटेरिया का कहना है कि इतिहास में बहुत कुछ छुपाया गया है और नई पीढ़ी को सही जानकारी जानने का पूरा हक है। ऐसे में लोग संविधान निर्माण और उसके सही निर्माता के बारे में जान सके,इसके लिए 20 एकड़ से ज्यादा की जमीन पर बीएन राव धाम बनाने का निर्णय लिया है। नियम अनुसार शासन से इसके निर्माण के लिए जगह मांगी जा रही है। यदि शासन द्वारा जमीन उपलब्ध नहीं कराई गई तो, जन अभियान के जरिए संयुक्त रूप से निजी जमीन को खरीद कर वहां बीएन राव धाम का निर्माण शुरू होगा।
उनको सबक सिखाने सड़क पर उतरेंगे
हाईकोर्ट परिसर में अंबेडकर मूर्ति स्थापना की मांग करने वाले आजाद समाज पार्टी के दामोदर यादव का कहना है कि किसी भी कीमत पर कोर्ट परिसर में अंबेडकर मूर्ति की स्थापना होकर रहेगी। यदि कोई भी बीएन राव की मूर्ति लगाने के या उनका धाम बनाने के सपने देख रहा है तो उनको सबक सिखाने के लिए सड़क पर उतरकर प्रदर्शन भी किया जाएगा।
नई जातिगत राजनीति का माहौल
बहरहाल MP की सियासत में इन दो धामों के निर्माण के साथ नई जातिगत राजनीति का माहौल बन रहा है। एक पक्ष डॉ अंबेडकर को संविधान निर्माता मानते हुए हाईकोर्ट परिसर में मूर्ति स्थापना की मांग कर रहा है तो दूसरा पक्ष संविधान का असली निर्माता सर बीएन राव को मानता है। ऐसे में अंचल में जातिगत तनाव का माहौल न बने इसको लेकर प्रशासन भी पैनी निगाह रखे हुए है।

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