रणधीर परमार, छतरपुर। एमपी की स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर है. जिसका उदाहरण छतरपुर में देखने को मिला है. जहां 6 घंटे इंतजार करने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची. जिससे एक आदिवासी किशोरीकी मौत हो गई. वहीं मृतिका के परिजनों ने अस्तपाल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं और चक्काजाम कर विरोध जताया है. इस मामले में जिम्मेदार जांच की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं.

दरअसल, यह पूरा मामला बक्सवाहा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है. बताजा जा रहा है कि 16 साल की जानकी आदिवासी को उल्टी-दस्त की शिकायत के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया था. जहां उसकी तबीयत अचानक और बिगड़ गई. जिसके बाद डॉक्टरों उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया और 108 एंबुलेंस को कॉल किया गया.

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परिजन करीब 6 घंटे तक एंबुलेंस का इंतजार करते, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची और आखिर में आदिवासी किशोरी जिंदगी की जंग हार गई. परिजनों का यह आरोप है कि वह इलाज के लिए अस्पताल में गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन उनको किसी भी प्रकार का इलाज नहीं मिला. वहीं इस घटना से नाराज होकर परिजनों ने बक्सवाहा के मुख्य मार्ग में चक्काजाम कर दिया.

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जाम की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची. इधर, इस मामले में सीएमएचओ डॉक्टर आरपी गुप्ता का कहना है कि लापरवाही लेकर जांच की जा रही है. बता दें कि यह कोई पहला मामला नहीं है. समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने के कई मामले सामने आ चुके हैं. बावजूद इसके जिम्मेदार एंबुलेंस के पायलट के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते हैं. अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर ये सब कब तक चलते रहेगा?

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