अजय नीमा, उज्जैन। हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में भगदड़ जैसी दुर्घटना हुई, जिसमें कई लोग घायल हो गए और कई लोगों की मृत्यु हो गई। इसके कई कारण हो सकते हैं। लेकिन मुख्य कारण यह प्रतीत होता है कि अखाड़ों की पेशवाई और स्नान के लिए भीड़ को रोका गया था। संभवत: इसके कारण लाखों की भीड़ के दबाव और स्नान करने की जल्दी में यह हादसा हुआ होगा। ऐसी कोई दुर्घटना या हादसा सिंहस्थ 2028 में नहीं हो इसके लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष व महाकाल मंदिर के पुजारी महेश पुजारी ने एक सुझाव पत्र भेजा हैं।

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स्नान के समय अखाड़ों की पेशवाई को बंद किया जाना चाहिए 

पत्र में उल्लेख किया कि आने वाले सभी श्रद्धालुओं के साथ समान व्यवहार किया जावे। क्योंकि जब सिंहस्थ में क्षिप्रा के हर घाट को रामघाट प्रचारित कर श्रद्धालुओं को वहीं स्नान करने की अपील की जाती है।  लेकिन जब तेरह अखाड़ों के द्वारा बड़ी बड़ी पेशवाई, वैभव प्रदर्शन और अपनी ताकत दिखाते हुए रामघाट पर जाकर स्नान किया जाता है तब आम श्रद्धालु द्वारा यह देखकर अपने को ठगा से महसूस करता हैं। रामघाट पर स्नान के लिए बढ़ता है तो उसे नदी क्षेत्र पर जाने से रोक दिया जाता है, उससे भी श्रद्धालुओं का दबाव बढ़ता है। जो भगदड़ ओर हादसे के कारण हो सकते हैं। पुजारी महासंघ ने सुझाव दिया कि स्नान के समय अखाड़ों की पेशवाई को बंद किया जाना चाहिए और साधु संतों को साधारण रूप से अपने अनुयायियों, यजमानों के बिना पैदल ही स्नान करने जाना चाहिए। 

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संत परम्परा त्याग का प्रतीक हैं

स्नान करने जाने में किस बात का वैभव और प्रदर्शन? क्योंकि संत परम्परा त्याग का प्रतीक हैं। जब क्षिप्रा सभी स्थानों पर पवित्र है तो तेरह अखाड़ों के लिए अलग अलग स्थानों में जैसे शैव दल को नृसिंह घाट से लेकर त्रिवेणी तक और रामा दल को मंगलनाथ क्षेत्र में बांट दिया जाना चाहिए। जिस पर संबंधित अखाड़े के साधु संत जाकर स्नान कर सके और जब इन अखाड़ों का स्नान हो जाए तब अन्य सभी श्रद्धालुओं के स्नान के लिए इन घाटों को खोल देना चाहिए। 

रामघाट पर सर्व प्रथम केवल सनातन धर्म के सर्वोच्च चारों शंकराचार्यों को ही स्नान की अनुमति दी जाना चाहिए अन्य अखाड़ों को नहीं। सभी वीआईपी, वीवीआईपी को मेला क्षेत्र में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। जिससे आम श्रद्धालु अपनी भावना और आस्था के साथ सुरक्षित रूप से क्षिप्रा में पुण्य स्नान का लाभ ले सके। यदि सरकार उपरोक्त सुझावों को सिंहस्थ 2028 में लागू करती हैं तो निश्चित ही सिंहस्थ में किसी प्रकार की भगदड़ या अव्यवस्था नहीं होगी और विश्व पटल पर सरकार और उज्जैन का नाम रोशन होगा। अखिल भारतीय पुजारी महासंघ प्रयागराज में हुए हादसे में दिवंगत हुए सभी श्रद्धालुओं को सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

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