अजय नीमा, उज्जैन। भादो मास के पहले सोमवार को एमपी की धार्मिक नगरी उज्जैन में ‘बाबा महाकाल’ की सवारी निकाली गई। राजसी ठाट-बाट के साथ महाकाल नगर भ्रमण पर निकले। भगवान की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम सड़कों उमड़ पड़ा। सवारी का आकर्षण केंद्र आदिवासियों का नृत्य रहा। इस सवारी में केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उइके, केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर और उज्जैन जिला प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल शामिल हुए।

विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर से शाम 4 बजे शुरू हुई बाबा महाकाल की सवारी नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई शिप्रा नदी पहुंची। शिप्रा के रामघाट पर भगवान का जल से अभिषेक किया गया, जिसके बाद सवारी फिर महाकाल मंदिर के लिए रवाना हुई। मान्यता है कि भगवान महाकाल सवारी के रूप में अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं। वहीं अपने राजा की एक झलक पाने के लिए प्रजा भी घंटों तक सड़क के किनारे इंतजार करती है।

चांदी की पालकी में बैठकर बाबा महाकाल निकले

शाम 4 बजे सभा मंडप में पूजन के बाद महाकाल को चांदी की पालकी में बैठाकर मंदिर से बाहर लाया गया। मंदिर से निकलते ही पुलिस बैंड और जवानों ने सवारी को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया। पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव और नंदी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद और रथ पर घटाटोप विराजित होकर अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले। सवारी के आगे घोडा, बैंड, पुलिस टुकड़ी, भजन मंडली के साथ सीआरपीएफ का बैड भी चल रहा था। गाजे-बाजे के साथ निकली सवारी का सफर लगभग पांच किलोमीटर का था।

सवारी में जनजातीय कलाकारों भी हुए शामिल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुरूप जनजातीय लोक कला और बोली विकास अकादमी मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से भगवान महाकालेश्वर की सवारी में जनजातीय कलाकारों के दल ने भी सहभागिता की। इस बार छटी सवारी में गोंड जनजातीय दल शामिल हुआ। वहां ठाट्या नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति कलाकारों ने दी। इस दल में शामिल कलाकारों ने अलग-अलग तालों के माध्यम से नृत्य को पूरा किया।

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