नीरज काकोटिया, बालाघाट। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की वारासिवनी जनपद पंचायत की अध्यक्ष माया उइके जाति प्रमाण पत्र को लेकर फंसती दिख रही हैं। जनपद अध्यक्ष पर आरोप हैं कि वह अनुसूचित जाति वर्ग की हैं और उसके नागपुर से जारी हुए जाति प्रमाण पत्र से यह स्पष्ट हो भी रहा हैं। जबकि माया उईके अपने जनपद पंचायत वारासिवनी की अध्यक्ष पद पर अनुसूचित जनजाति अर्थात एसटी वर्ग से होना बताकर काबिज हैं। इस आरोप को अध्यक्ष माया उईके ने भी माना कि उनका जाति प्रमाण पत्र एससी वर्ग का हैं और वह एसटी वर्ग में जनपद अध्यक्ष चुनी गई हैं।
जनपद सदस्य ने जताई आपत्ति
इस संबंध में जनपद सदस्य जितेंद्र राजपूत ने जनपद अध्यक्ष माया उइके के मायका नागपुर से जारी हुए जाति प्रमाण पत्र का हवाला देते हुए बताया कि वे नागपुर महाराष्ट्र राज्य की रहने वाली हैं। यहां पर माया मसराम की जाति गांडा जो कि अजा अर्थात एससी वर्ग में आती हैं। इस वर्ग का ही जाति प्रमाण पत्र भी वहां के अधिकारी ने जारी किया हैं। लेकिन यहां पर वह विवाह के पश्चात अपने को माया उइके लिखती हैं। यहां का जाति प्रमाण पत्र चुनाव में नहीं लगाया गया बल्कि साधारण शपथ पत्र के माध्यम से जनपद पंचायत सदस्य निर्वाचित होने के पश्चात जनपद अध्यक्ष पद अजजा वर्ग के लिये आरक्षित होने से वह इस वर्ग में चुनी गई।
धोखाधड़ी कर जाति को छिपाने का आरोप
जनपद सदस्य जितेंद्र राजपूत ने आरोप लगाते हुए कहा कि माया उईके ने निर्वाचन के दौरान अपने जाति प्रमाण पत्र अजा वर्ग का होने के बावजूद धोखाधड़ी की और अपने जाति को छुपाते हुये स्वंय को आदिवासी वर्ग अर्थात अजजा वर्ग से होना बताकर अध्यक्ष पद कब्जा लिया हैं। अध्यक्ष माया उईके ने आदिवासी वर्ग से चुनकर आए अन्य जनपद सदस्यों के अधिकार को भी छिनने का कार्य किया हैं। इस धोखाधड़ी के लिये जनपद अध्यक्ष को तत्काल पद से हटाया जाना चाहिए और अपराध दर्ज किया जाये।
जनपद अध्यक्ष माया उईके ने मानी गलती
बता दें कि जनपद अध्यक्ष माया उईके ने माना कि उनका जाति प्रमाण पत्र एससी वर्ग का जारी हुआ हैं। जो अभी मेरे संज्ञान में आया हैं। यह जाति प्रमाण पत्र साल 2002 में जारी हुआ हैं। अब इसके संबंध में संज्ञान में आया हैं। जिसके सुधार हेतु वह कार्यवाही करेगी। माया उइके ने कहा कि मेरे माता-पिता का जातिप्रमाण पत्र एसटी वर्ग का हैं। एसटी वर्ग से ही वह तमाम लाभ प्राप्त कर रही हैं। जनपद अध्यक्ष पद भी एसटी वर्ग में ही पाया हैं। अब मामला उठने पर उन्होंने गलती मानते हुए प्रमाण पत्र सुधरवाने की बात कही हैं।
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