नीरज काकोटिया, बालाघाट। आज के युग में लोग अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं। कोई संपत्ति के लिए उनकी जान का दुश्मन बन जाता है। लेकिन मध्य प्रदेश में एक व्यक्ति ने अपने परिजनों के सम्मान में कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसकी चर्चा पूरे क्षेत्र में हो रही है।
माता-पिता के लिए बनवाया मंदिर
दरअसल, बालाघाट के किरनापुर में रहने वाले मंगलप्रसाद रैकवार ने अपने माता-पिता के संघर्षमय जीवन और त्याग को यादगार बनाने उनके सम्मान में मंदिर ही बनवा दिया। उसने स्वर्गीय पिता रामरतन रैकवार, दादी स्वर्गीय शुभांती रैकवार और मां स्वर्गीय पार्वती रैकवार की प्रतिमा स्थापित कर धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मूर्ति अनावरण कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें उनके रिश्तेदार, क्षेत्र के स्थानीय जनप्रतिनिधि समेत भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
पिता के देहांत के बाद मां ने पूरी कराई पढ़ाई
अपने बीते दिनों को याद कर भावुक होते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मंगल प्रसाद रैकवार ने बताया कि “माता-पिता ने गरीबी में जीवन काटा था। 1993 में नवमी कक्षा में पढ़ाई कर रहा था, उसी दौरान पिता का निधन हो गया। मां ने किसी तरह उनकी पढ़ाई पूरी करवाई।”
पूर्व परिवहन मंत्री ने दिलाई नौकरी मगर मन नहीं लगा
उन्होंने आगे बताया, “एमपी के पूर्व परिवहन मंत्री स्व. लिखीराम कावरे ने मुझे बालाघाट के उकवा में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में नौकरी दिलवाई, लेकिन वहां मन नहीं लगा। मैंने वापस आकर अपनी पैतृक जमीन प्लाटिंग का बिजनेस शुरू किया। माता पिता के त्याग और संघर्ष को याद रखते हुए निरंतर आगे बढ़ता रहा। मैं माता-पिता के त्याग, संघर्ष और समर्पण को कभी नहीं भूल सकता और उन्हीं की याद में आज माता-पिता का मंदिर निर्माण कर उनकी मूर्ति स्थापित की गई है।”
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