समीर शेख, बड़वानी। मध्य प्रदेश के बड़वानी में कोरोना काल के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का एक मामला सामने आया था। अब इस मामले में फार्मासिस्ट और एजेंट को कड़ी सजा सुनाई गई है। पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि गुरुपद अस्पताल के बाहर विनय रजक नाम का व्यक्ति रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहा है। वह 3,400 रुपये के सरकारी रेट वाले इंजेक्शन को 25,000 रुपये में बेच रहा था। पुलिस ने आरक्षक प्रीतम को एजेंट बनाकर विनय रजक के पास भेजा। विनय रुपये लेकर अस्पताल के अंदर गया और इंजेक्शन लेकर लौटा। पुलिस ने उसे तुरंत पकड़ लिया।
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पूछताछ में पता चला कि इंजेक्शन गुरुपद अस्पताल के मेडिकल स्टोर के फार्मासिस्ट राहुल बड़गुर्जर से लिया गया था। जांच में खुलासा हुआ कि यह इंजेक्शन मरीज अखिलेश सोनी के लिए था। दो इंजेक्शनों में से एक लगाने के बाद मरीज की हालत बिगड़ने पर उसे ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया। बचा हुआ एक इंजेक्शन राहुल ने सरकार को वापस न करके विनय के माध्यम से बेचने का फैसला किया। 25,000 रुपये में से 5,000 रुपये विनय को कमीशन के रूप में मिलने थे।
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प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने दोनों आरोपियों को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 53 के तहत दोषी पाया। विनय रजक और राहुल बड़गुर्जर को 2-2 साल की सजा और 50-50 हजार रुपये का जुर्माना सुनाया गया। शासन की ओर से जिला लोक अभियोजक दीपक चौहान ने केस की पैरवी की।
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