धर्मेंद्र ओझा, भिंड। मध्य प्रदेश के भिंड जिले में रिश्वत मांगे जाने का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां  मेहगांव उप जेल में बंद एक बंदी को अदालत से जमानत मिलने के बाद भी बाहर निकलने नहीं दिया गया। उसे जेल से बाहर निकालने के बदले रिश्वत की मांग की जा रही थी। जब उसकी पत्नी ने रिश्वत के पैसे दिए तब बंदी जेल से बाहर आ पाया। मामला सामने आने के बाद कलेक्टर ने इस संबंध में कड़ी कार्रवाई करते हुए उप जेल के सहायक जेल अधीक्षक वासुदेव मांझी और प्रहरी उमेश चौहान को निलंबित कर दिया है।

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मिली जानकारी के मुताबिक आर्म्स एक्ट मामले में मेहगांव जेल में बंद उमरी थाना क्षेत्र के ईश्वरी गांव के रहने वाले राजेश सिंह राजावत की पत्नी नीलू चौहान ने कलेक्टर से मामले की शिकायत की। शिकायत में उसने बताया कि वह जेल में बंद अपने पति से मुलाकात करने के लिए पहुंची थी। इस दौरान ड्यूटी पर मौजूद प्रहरी उमेश चौहान ने मिलने के नाम पर उससे हज़ारों रुपए फोन पे के माध्यम से किसी और के नंबर में डलवाए। हद तो तब हो गई,  जब बंदी राजेश की न्यायालय से जमानत के बाद भी उसे छोड़ा नहीं गया। इसके बदले 20 हजार रुपए रिश्वत की मांग की गई। महिला से कहा गया कि पैसे मिलने के बाद ही तुम्हरा पति से जेल से बाहर आ पाएगा।   

शिकायत सही पाए जाने पर कलेक्टर ने किया निलंबित 

शिकायत के आधार पर कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच कराई और मामला सही पाए जाने पर  सहायक जेल अधीक्षक वासुदेव मांझी और प्रहरी चौहान के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की।वहीं इस पूरे मामले में सहायक जेल अधीक्षक वासुदेव मांझी ने अपने आपको निर्दोष बताते हुए कहा कि उन्होंने बंदी को गुजरात भेजने के लिए लिखित रूप से पुलिस लाइन से बल की मांग की थी। लेकिन पुलिस बल कारिजर्वेशन न होने के चलते बंदीमेहगाँव जेल में बंद है। गुजरात की जूनागढ़ जेल में बंदी राजेश का प्रोडक्शन वारंट मिला है, लिहाजा उसे गुजरात भेजा जा रहा है। कलेक्टर ने उन्हें किस आधार पर निलंबित किया है इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। 

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