शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश की भोपाल पुलिस ने बीज प्रमाणीकरण संस्था में सरकारी धन के 10 करोड़ रुपए के गबन के एक बड़े मामले का पर्दाफाश किया है। इस मामले में संस्था के चपरासी समेत 6 आरोपियों को धर दबोचा है। इसमें बैंकों के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई है। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ने घोटाले का षड्यंत्र रचा था। 

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आरोपियों ने कूटरचित दस्तावेज के आधार पर रकम को बैंक से निकालकर जमीनें खरीदी गई।आरोपियों ने 50 से अधिक फर्जी करंट अकाउंट खुलवा कर रखे थे। योजनाओं के नाम पर लोन के तौर पर ली जाने वाली रकम इन खातों में ट्रांसफर की जाती थी। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 9 करोड़ रुपए की रकम को रिकवर कर लिया है। बची एक करोड़ की रकम और फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कूट रचित दस्तावेज तैयार कर धोखाधड़ी करने और भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।

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जानकारी के मुताबिक बीज प्रमाणीकरण संस्था के कर्मचारी बृजेन्द्र दास नामदेव ने फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे। पुलिस ने मास्टर माइंड बिजेंद्र दास नामदेव को रीवा से गिरफ्तार किया है। जाली दस्तावेज में बृजेन्द्र दास नामदेव को आहरण एवं वितरण अधिकारी बताया गया था। बैंक मैनेजर नोएल सिंह की मिलीभगत से संस्था की 10 करोड़ रूपये की एफ.डी.आर तोड़ी गई। एफ.डी.आर तोड़कर 5-5 करोड़ की 2 डीडी तैयार की गई थी। एफडीआर को तोड़कर अलग-अलग 50 अकाउंटों में इन रुपये को डाला गया। 

बताया जा रहा है कि बीज प्रमाणीकरण संस्था लेखा सहायक दीपक पंथी ने भी बिजेन्द्र दास नामदेव की फर्जीवाड़े में मदद की थी। 10 करोड़ रूपये की राशि को ठिकाने लगाने के लिए शैलेन्द्र प्रधान अपने साथियों के साथ मिलकर कई बैंक में फर्जी फर्म तैयार किए। चालू खाते खुलवाए गए एवं 10 करोड़ रूपये को ठिकाने लगाया गया। 

आरोपियों ने कूटरचित दस्तावेज के आधार पर धनराशि को बैंक से निकालकर जमीनें खरीदी। आरोपी उस जमीन पर  शासन की राष्ट्रीय पशु संवर्धन योजना के तहत सब्सिडी के साथ करोड़ों का लोन लेने की योजना बना रहे थे। जिस योजना को एसआईटी ने पकड़ लिया। बैंक ने ऑडिट के दौरान 10 करोड़ राशि की हेरफेर पाई। जिसके बाद मामला उजागर हुआ। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक नोयल सिंह और यश बैंक के अधिकारियों के साथ मिलकर इस पूरी घटना को अंजाम दिया गया है। 

ये हैं गिरफ्तार 6 आरोपियों के नाम 

  • बृजेन्द्र दास नामदेव (भृत्य) – मास्टरमाइंड, जिसने पूरी साजिश रची।
  • धनंजय गिरी (यस बैंक अधिकारी) – फर्जी खाता खोलने और राशि स्थानांतरित करने में मदद की।
  • शैलेन्द्र प्रधान उर्फ आचार्य बाबा – गबन की गई राशि को अन्य फर्जी फर्मों में वितरित करने में सहयोगी।
  • राजेश शर्मा और पियूष शर्मा – फर्जी खातों के माध्यम से धन का लेन-देन किया।  
  • दीपक पंथी (लेखा सहायक) – दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर मुख्य आरोपी की मदद की।
  • नोएल सिंह (सेंट्रल बैंक शाखा प्रबंधक) – एफडीआर को तोड़ने में शामिल।

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