शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से कांग्रेस विधायक यादवेंद्र सिंह के बेटे पर एक दलित ड्राइवर के साथ मारपीट और जातिगत अपमान का गंभीर आरोप लगा है। घटना उस समय की है, जब विधायक के बेटे की स्कॉर्पियो गाड़ी (नंबर MP04 ZK 8121) ने एक खड़े डंपर में पीछे से टक्कर मार दी। पीड़ित ड्राइवर बाबू कहार ने आरोप लगाया कि विधायक के बेटे और उनके साथ मौजूद सरकारी गनमैन ने न केवल उनके साथ मारपीट की, बल्कि जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर उनका अपमान भी किया।

कलियासोत घाटी पर डंपर हुआ था खराब 

पीड़ित ड्राइवर बाबू कहार के अनुसार 14 जुलाई को दोपहर 2 बजे कलियासोत घाटी पर उनका डंपर खराब हो गया था। इसी दौरान पीछे से तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने डंपर में टक्कर मार दी। थोड़ी देर बाद एक युवक और सफारी सूट पहने गनमैन वहां पहुंचे। युवक ने खुद को टीकमगढ़ विधायक यादवेंद्र सिंह का बेटा बताया। ड्राइवर का दावा है कि जब उसने अपनी गलती मानने से इनकार किया तो उस युवक और उसके साथ मौजूद गनमैन ने उसे जबरन स्कॉर्पियो में बिठाया और पीटा।

पुलिस ने ड्राइवर के खिलाफ ही दर्ज कर दी FIR 

ड्राइवर का आरोप है कि इस मामले की शिकायत करने के बावजूद कोलार पुलिस ने विधायक के बेटे के दबाव में उनकी बात नहीं सुनी। उल्टा, पुलिस ने उसके खिलाफ ही FIR दर्ज कर दी। हताश होकर ड्राइवर धन सिंह ने भोपाल के पुलिस कमिश्नर से न्याय की गुहार लगाई है। इस घटना ने पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। 

सोमवार का व्रत, कभी नहीं पी शराब

ड्राइवर बाबू कहार का कहना है कि उस दिन वह सावन सोमवार का व्रत था, कभी शराब नहीं पी है। फिर भी मेडिकल रिपोर्ट में जबरन शराब पीने की बात लिख दी गई है। ड्राइवर ने मांग की है कि घटना स्थल और थाने के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जाएं। जिससे साफ हो सके कि उसे कितनी देर थाने में बैठाया गया। 

बीजेपी ने साधा निशाना 

वहीं इस घटना पर बीजेपी ने निशाना साधा है। बीजेपी मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कहा कि मामला कांग्रेस विधायक पुत्र द्वारा एक दलित के साथ अन्याय का हो, तो म.प्र. कांग्रेस अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी जी मौन क्यों रहते हैं? 14 जुलाई को टीकमगढ़ विधायक यादवेंद्र सिंह के बेटे की स्कॉर्पियो एक खड़े डंपर से टकरा गई। वहीं मौजूद ड्राइवर बाबू कहार को गाड़ी में बिठाकर बेरहमी से पीटा गया और उसे जातिसूचक गालियाँ दी गईं। इसके बाद, विधायकी का दबाव दिखाकर थाने में ले जाकर झूठे केस में फंसाया।

उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि क्या आपकी संवेदनशीलता दलितों के लिए केवल मंचों और माइक्रोफोन तक सीमित है? जब अत्याचार कांग्रेस के भीतर से हो, तब आपकी राजनीति चुप्पी का आवरण क्यों ओढ़ लेती है? मध्यप्रदेश में कानून का राज है- दोषी कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा। पर हर मुद्दे पर ट्वीट करने वाले श्री जीतू पटवारी जी इस विषय पर मौन क्यों हैं? जनता अब कांग्रेस की दोहरी मानसिकता को देख रही है, समझ रही है।

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