शब्बीर अहमद, भोपाल। राजधानी भोपाल में अपनी बेटी से रेप के आरोप में जेल में बंद सौतेले पिता को 1 साल 1 महीने बाद न्याय मिला है। कोर्ट ने उसे बरी करते हुए फैसले में कहा कि खुद को बचाने के लिए आरोपियों ने पिता के खिलाफ ही बयान दिए थे। न्यायालय ने इस मामले की जांच में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। साथ ही मामले की दोबारा जांच करने के लिए कहा है।

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दरअसल, 14 जून 2018 को अयोध्या नगर थाना क्षेत्र की रहने वाली एक नाबालिग लड़की ने सुसाइड कर लिया था। युवती की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके साथ गैंगरेप की पुष्टि हुई थी। इस दौरान उसकी जेब में चार लोगों के नाम की पर्ची भी मिली थी। लेकिन तत्कालीन थाना प्रभारी महेंद्र सिंह कुल्हारा ने उन युवकों पर कार्रवाई करने के बजाय 20 मई 2019 को एफआईआर दर्ज की और 9 नवंबर 2019 को पिता को गिरफ्तार कर लिया।

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पुलिस का कहना था कि पड़ोसियों के बयान के आधार पर ही सौतेले पिता को आरोपी बनाया था। वहीं कोर्ट ने फैसले में कहा है कि खुद को बचाने के लिए आरोपियों ने पिता के खिलाफ ही बयान दिए थे। कोर्ट ने कहा कि “घटना से 3-4 दिन पहले बच्ची इन्हीं गवाहों के घर पर थी। आत्महत्या से पहले वहीं से घर लौटी थी। यह संभव है कि गवाह खुद को बचाने के लिए पिता पर झूठा आरोप लगा रहे हों।”

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विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) कुमुदिनी पटेल ने फैसला सुनाते हुए पिता को बरी कर दिया। साथ ही टीआई के खिलाफ कार्रवाई और मामले की दोबारा जांच के आदेश डीजीपी को दिए हैं।

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