भोपाल। केंद्र सरकार ने आखिरकार जाति आधारित जनगणना कराने का ऐतिहासिक फैसला ले लिया है, जिसका कांग्रेस ने स्वागत किया है। मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे “राहुल गांधी की दूरदर्शिता और संघर्ष की जीत” करार दिया है। यह निर्णय न केवल सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में मील का पत्थर है, बल्कि कांग्रेस पार्टी की दशकों पुरानी मांग और राहुल गांधी के अथक प्रयासों का परिणाम भी है।

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने X पर किया पोस्ट 

मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी इस फैसले का स्वागत किया और इसे “देश की आवाज की जीत” करार दिया। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी जी ने सड़क से संसद तक इस मुद्दे को उठाया। उनकी भारत जोड़ो यात्रा ने वंचित समुदायों की आवाज को बुलंद किया। आज केंद्र को झुकना पड़ा। यह निर्णय आदिवासियों और दलितों के लिए गेम-चेंजर होगा। हम सरकार से मांग करते हैं कि यह जनगणना समय पर पूरी हो और डेटा पारदर्शी तरीके से सामने आए।”

जाति जनगणना: लंबी लड़ाई का परिणाम

जाति जनगणना की मांग भारत में दशकों से उठती रही है, लेकिन यह पहली बार है कि केंद्र सरकार ने इसे औपचारिक रूप से स्वीकार किया है। कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को बार-बार संसद से सड़क तक उठाया, और खास तौर पर राहुल गांधी ने इसे अपनी सियासी और सामाजिक लड़ाई का केंद्र बनाया। 2011 की जनगणना में सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) शुरू की गई थी, लेकिन इसके आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए गए। इसके बाद 2021 की जनगणना में जाति आधारित डेटा शामिल करने की मांग को तत्कालीन बीजेपी सरकार ने ठुकरा दिया था।

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