कुमार इंदर, जबलपुर। कोरोना आपदा पर लगी याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एक बार फिर राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि सरकार की एक्शन टेकन रिपोर्ट और ज़मीनी हालात अलग-अलग हैं। ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन मुहैया कराने में सरकार फेल है। कोर्ट के आदेशों का पालन करने में भी सरकार पूरी तरह विफल है। राज्य सरकार की इंजेक्शन डिस्ट्रिब्यूशन पॉलिसी बेकार है।
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने केन्द्र से मध्य प्रदेश को हर दिन 100 मीट्रिक टन अतिरिक्त ऑक्सिजन देने पर विचार करने कहा है।
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार हाईकोर्ट में कोरोना आपदा की जो स्थिति बतला रही है वह हकीकत से अलग है।
मरीज़ों की मौतें दिल दहलाने वाली है। राइट टू लिव के अधिकार में राइट टू हेल्थ का अधिकार शामिल है।
अन्य राष्ट्रों से आपूर्ति की अनुमति दें केन्द्र
आर्टिकल 21 तब तक अर्थ हीन जब तक लोगो को ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं। रेमडेसिविर इंजेक्शन वितरण पॉलिसी बदलने की जरूरत है। सरकार अपनी नीति में संशोधन पर विचार करें। केंद्र सरकार राज्य को अनुमति दे कि जरूरी इंजेक्शन और दवाओं की आपूर्ति अन्य राष्ट्रों से भी कर सके।
निजी अस्पतालों पर कार्यवाही करें
आयुष्मान योजना, बीपीएल कार्ड धारी और सीजीएचएस कार्ड धारियों को इलाज ना देने पर राज्य सरकार निजी अस्पतालों पर कार्यवाही करे। मामले की अगली सुनवाई अब 6 मई को होगी।