राकेश चतर्वुेदी, भोपाल। कोरोना संक्रमण से जूझ रहे मरीजों के बाद अब मध्यप्रदेश में ब्लैक फंगस संक्रमण के मामले बढ़ गए है. पूरे प्रदेश में आज 421 नए मरीज मिले हैं. इसकी रोकथाम और उपचार के लिए शासन सहित स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है.
संक्रमण बढऩे के साथ ब्लैक फंगस रोकने इंजेक्शन की मारामारी मच गई है. इंजेक्शन की कमी से ब्लैक फंगस के मरीज जूझ रहे हैं.

बताया जाता है कि ब्लैक फंगस का संक्रमण रोकने के लिए एंफोटेरिसिन-बी लाइपोसोमेल इंजेक्शन के लिए मारामारी मच गई है. सरकार ने भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर के लिए 2 हजार इंजेक्शन मंगाए हैं. इनमें से सोमवार को 600 इंजेक्शन इंदौर के एमवाय अस्पताल और 300 इंजेक्शन हमीदिया के गांधी मेडिकल कॉलेज को मिले हैं. बताया जाता है कि एक दिन में ब्लैक फंगस के मरीज को इंजेक्शन के 4 डोज लगते हैं. इसके मरीजों को कम से कम 7 दिन तक इंजेक्शन लगना जरूरी होता है. वहीं एक इंजेक्शन की कीमत 5 से 7 हजार रुपए है.

ब्लैक फंगस पर सियासत
ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले और इंजेक्शन की कमी को लेकर प्रदेश में सियासत भी शुरू हो गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मिश्रा ने ट्वीट कर सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने लिखा है कि हर दिन 1800 डोज लगना है और आपूर्ति शून्य है. उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में क्या कर रही है. उन्होंने तंज कसते हुए लिखा है कि भोपाल के बल्लभ भवन के वातानुकूलित कक्षों में जमे नौकरशाह गुलछर्रे मत उड़ाइए. लोगों इलाज और इंजेक्शन के तरस रहे हैं.

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ब्लैक फंगस को लेकर सरकार संवेदनशील
बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि ब्लैक फंगस को लेकर सरकार संवेदनशील है. कहा कि कोरोना के पोस्ट कोविड प्रकरण में ब्लैक फंगस के मामले आ रहे हैं. सरकार ने पांच महानगरों में इलाज की व्यवस्था की है. जो इंजेक्शन चाहिए उसकी आपूर्ति कराई जा रही है. इस इंजेक्शन की पहले इतनी अधिक जरूरत नहीं पड़ी इसलिए प्रदेश में पहले नहीं आया. अब आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है.

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