दीपक सोहले, बुरहानपुर। क्या भगवान को भूख लगती है? क्या बागवान कभी खाना खाते हैं? अगर इन सवालों के जवाब चाहिए तो आपको बुरहानपुर स्थित 200 साल पुराने स्वामीनारायण मंदिर जाना चाहिए। यहां पुजारियों ने भगवान को ठंड से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाना शुरू कर दिया है।

आरती और लोरी भी सुनाई जाती है

जिले में इन दिनों पारा लुढ़ककर 8 डिग्री पंहुच गया है। ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए स्वामीनारायण मंदिर में भगवान को ठंड में गर्म कपड़े पहनाकर भगवान का श्रृंगार किया जाता है। उसके बाद आरती और लोरी भी सुनाई जाती है।

साल में एक बार होते हैं लक्ष्मी मां के कुमकुम भरे चरणों के दर्शन

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, ऐतिहासिक स्वामीनारायण मंदिर में माता लक्ष्मीजी के चरणों के दर्शन करने को अत्यंत दुर्लभ माना जाता है। यहां साल में एक बार माता लक्ष्मी जी के कुमकुम भरे चरणों के दर्शन करके, इस कुमकुम को माथे पर लगाया जाता है। भक्तों का यह विश्वास है कि इससे जीवन में धन और समृद्धि की कमी नहीं होगी। इस मंदिर में हर साल धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी के चरणों में कुमकुम अर्पित किया जाता है। दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को माता लक्ष्मी जी के चरणों में अर्पित कुमकुम को वितरित किया जाता है। 

भगवान भी शॉल-टोपी पहनते हैं

कहा जाता है कि यहां भगवान स्वामीनारायण ने अपने ही हाथों से लक्ष्मीनारायण देव को स्थापित किया था। सहजानंद स्वामी की लोरी सुनाकर भगवान को शॉल और टोपी पहनने का आग्रह किया जाता है। यहां आए भक्तों ने बताया कि” “ठंड के मौसम में भगवान भी शॉल-टोपी पहनते हैं। जिस तरह बुरहानपुर का पारा 8 डिग्री तक लुढ़क गया, भगवान को भी हमारी ही तरह मानकर उन्हे गरम वस्त्र पहनाए गए हैं।”

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