रेणु अग्रवाल, धार। ऐतिहासिक भोजशाला (Historic Restaurant) में प्रति मंगलवार होने वाले सत्याग्रह के बाद आज सत्याग्रहीयों ने भोजशाला के बाहर आतिशबाजी कर मिठाइयां बांटी। इतना ही नहीं महिलाओं ने मंगल गीत गाए। बताया जाता है कि, हिंदू समाज भोजशाला के लिए सालों से संघर्ष करता आ रहा। आइए जानते हैं कि आज क्या खास दिन है और इतिहास में क्या हुआ था।
पहले जानते हैं इतिहास
सन 1997 में तत्कालीन कलेक्टर ने भोजशाला में हिंदू समाज के लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसके बाद से ही हिंदुओं ने कई सालों तक आंदोलन किए। तब जाकर 8 अप्रैल 2003 को भोजशाला में हिंदुओं के प्रवेश का रास्ता साफ हुआ। आज से 22 साल पूर्व आज ही के दिन भोजशाला के दरवाजे हिंदुओं के लिए खुले थे। इसके बाद हिंदुओं को भोजशाला में पूजा करने की अनुमति मिली थी। इस खुशी में सत्याग्रहीयों ने आतिशबाजी कर मिठाइयां बांटी और अपनी खुशी का इजहार किया।
भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा ने कहा कि हिंदू समाज भोजशाला की मुक्ति और पुनर्स्थापना के लिए निरंतर संघर्ष करते आ रहा है। लंबी लड़ाई के बाद 8 अप्रैल 2003 को हिंदू समाज को एक बार फिर मंदिर में पूजा करने की अनुमति मिली थी। तब से अब तक 22 वर्ष बीत चुके हैं। इसमें हमारे तीन कार्यकर्ता शहीद हुए, 1700 से 1800 लोगों पर प्रतिबंध लगे थे। 52 माता बहने जेल गई थी। पूरे जिले ने पीड़ा को झेला है।
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उन्होंने कहा कि, 22 वर्ष होने की खुशी मनाने के लिए आतिशबाजी की मिठाइयां बांटी और खुशी जाहिर की। वहीं अशोक जैन ने कहा कि, वक्फ बोर्ड के नियमों में जो संशोधन किए गए है उस का स्वागत किया गया है। इस दौरान पुलिस प्रशासन के सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए गए थे। सीएसपी रविंद्र वास्केल, कोतवाली थाना प्रभारी समीर पाटीदार, और नौगांव थाना प्रभारी सुनील शर्मा अपने दल के साथ मौके पर मौजूद थे।
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