शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के खजुराहो से उपजा एक विवाद अब देश की सुर्खियों में है। मामला एनसीईआरटी के कक्षा तीन के पाठ्यक्रम में शामिल एक चैप्टर से जुड़ा हुआ है। पर्यावरण विषय के अध्याय 17 “चिट्ठी आई है” शीर्षक के चैप्टर में बताया गया कि “रीना” नाम की लड़की “अहमद” नाम के लड़के को चिट्ठी लिखती है। बस यही बात एक छात्रा के पिता को नागवार गुजरी। पिता ने अध्याय में लिखे नामों पर आपत्ति जाहिर करते हुए लव जिहाद के संदेह पर पुलिस में शिकायत की। जिस नाम पर देश में बवाल मचा लल्लूराम तो उसी के पीछे जुटे। सवाल भी हमारा एक कि “रीना” आखिर कौन? “रीना” का धर्म क्या? कहां और कैसे आई रीना?  आइए बताते हैं आपको “रीना” की पड़ताल और छिपा हुआ सच।

लल्लूराम डॉट कॉम पर पढ़िए कहानी का पहला पन्ना

NCERT की किताब में ‘रीना’ का ‘अहमद’ के लिए पत्र: कमलनाथ बोले- अगर ऐसी बात है तो…, जानिए क्या है ‘चिट्ठी आई है’ चैप्टर का विवाद

लल्लूराम डॉट कॉम ने अपनी पड़ताल की शुरुआत शिकायतकर्ता डॉक्टर राघव पाठक से की। जिन्होंने अपनी बेटी को पढ़ाते समय इस विषय को उठाया। हमारे सवाल के जवाब में डॉक्टर पाठक ने बताया कि अध्याय की चिट्ठी में “रीना” ने सभी बड़ों को प्रमाण लिख तुम्हारी रीना अंत में लिखा। तर्क दिया कि प्रणाम की संस्कृति तो हिंदू संस्कृति की मानी जाती है। इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि “रीना” नाम भी सबसे ज्यादा हिंदुओं में ही मिलता है। शिकायतकर्ता का यह दावा कहा जा सकता है लेकिन, ठोस आधार नहीं। हमने अपनी पड़ताल में चौकाने वाले तथ्य भी पाए।

कहानी का दूसरा पन्ना

पुलिस ने कहा, यह अपराध नहीं फिर रीना की जांच कैसी

“रीना” आखिर कौन ?  इस पहेली को सुलझाने के लिए हमने खजुराहो पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया। एसडीओपी सलिल शर्मा ने लल्लूराम को बताया कि यह मामला एक अभिभावक और एनसीईआरटी के बीच का है। यह भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की स्थापना की गई। यह अपराध की किसी भी श्रेणी से जुड़ा मामला नहीं है। लिहाजा दिए गए आवेदन को वरिष्ठ अधिकारियों को पहुंचाया गया। पुलिस को अपराध से जुड़े मामलों का अधिकार है। इस जवाब के साथ ही हमारी पड़ताल ने एक कदम और आगे बढ़ाया।

कहानी का तीसरा पन्ना

एनसीईआरटी को नहीं पता…आखिर रीना कौन?

लल्लूराम ने एनसीईआरटी के एक अधिकारी से संपर्क किया। मामले पर बवाल के मद्देनजर नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम की पूरी प्रक्रिया होती है। गहन शोध, रिपोर्ट, अभिमत जैसी कई प्रक्रिया के बाद यह पाठ्यक्रम से संबंधित प्रक्रिया होती है। दूसरी और प्रमुख बात यह कि एनसीईआरटी को भी नहीं पता कि आखिर “रीना” कौन है। यह भी बताया कि सिर्फ दो बच्चों के नाम पर चिट्ठी अपनी कहानी कह रही है।

कहानी का चौथा पन्ना

“रीना” नाम सिर्फ हिंदी भाषा या हिंदू से नहीं- डॉ. विवेक सक्सेना

हिंदी भाषा में पीएचडी, प्राध्यापक और साहित्यकार डॉक्टर विवेक सक्सेना ने लल्लूराम से बातचीत के दौरान बताया कि कई नाम सिर्फ प्रचलन के कारण लगातार चलते आ रहे हैं। इसमें रीना भी एक है। डॉक्टर सक्सेना ने बताया कि स्पेनिश भाषा में रीना का मतलब रानी होता है। कई नाम ऐसे हैं जो सिर्फ प्रचलन के कारण अकसर सुनाई देते हैं। उन्होंने कहा कि देश में ऐसी कई रीना हैं जो मुस्लिम हैं, सिख हैं, ईसाई हैं या अन्य धर्मों से हैं। कई पाठ्यक्रम में नामों या संदर्भ का उपयोग प्रतीकात्मक होता है। ऐसे मामलों को लेकर मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा जैसे महान साहित्यकारों की उन रचनाओं को जरूर पढ़ना चाहिए जिनमें धर्म, जाति, वर्ग से उठकर गढ़ा गया था। साथ ही इन्हें पाठ्यक्रम में शामिल किया गया।

कहानी का पांचवा पन्ना

और यहां गजब की सियासत….

आपने सुना होगा। हवा में तीर,  घाव गंभीर। रीना नाम भले ही सिर्फ हिंदी भाषा या हिंदुओं से नहीं। न ही यह रीना की जाति-धर्म का उल्लेख। लेकिन, एक शिकायत पर जमकर सियासत शुरू हुई। विपक्ष से लेकर सत्ता पक्ष दोनों में बयानी जंग दिखाई दे रही है। बड़े-बड़े नेताओं की एंट्री हुई। मजहबी संगठन भी पीछे नहीं है। किसी ने इस हवाई मामले और इसके पीछे के तथ्यों को न जाना न समझा। लल्लूराम तो यहीं कहेंगे कि… “तेरी नजरों का फितूर और चश्मे का कसूर, वक्त का तकाजा, जरा समझिए जरूर..”

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