कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। कोरोना काल को हम और आप कभी नही भूल सकते। अपनो को खोने का दर्द लोगों को आज भी झकझोर देता है। कोरोना काल ने भारत को स्वास्थ्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी बनाया। इस दौरान ऑक्सीजन की किल्लत को दूर करने PM केयर फंड सहित अन्य फंड के जरिये PSA ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए। लेकिन आज पहली और दूसरी लहर के बाद यह प्लांट कमीशनखोरी की बलि चढ़ा दिए गए।

211 में से 114 प्लांट पूरी तरह बंद

कोरोना काल में मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में  लगभग 211 PSA ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए थे। इन प्लांट के जरिए वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन को मेडिकल ऑक्सीजन में बदलकर मरीजों तक पहुंचाया जाता है। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि 211 प्लांटों में से  114 प्लांट पूरी तरह बंद है। सिर्फ 97 प्लांट ही ऑक्सीजन उत्पादित कर पा रहें है। जो 114 प्लांट बंद हुए हैं उन अस्पतालों में अब ऑक्सीजन की आपूर्ति लिक्विड फॉर्म में ऑक्सीजन खरीद कर पूरी की जा रही है। इसका असर सीधे राज्य सरकार के राजस्व पर पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर कमीशनखोरी को भी बल मिला है।

सरकार को चूना लगाने में किसका हाथ? 

प्राइवेट एजेंसियो से प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के लिए लिक्यूड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) प्लांट और ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीदी कर भारी भरकम खर्चा हर महीने किया जा रहा है। यही आंकड़े बयां कर रहे है कि सरकार के खजाने को कंगाल करने में उनकी ही सरकारी मशीनरी का बड़ा हाथ है। जी हां, सरकारी अफसर अपने आर्थिक लाभ के लिए सरकारी संसाधनों को कंडम कर निजी एजेंसियों से खरीदारी कर खजाने को भारी नुकसान पहुंचा रहें हैं।  

ऐसे चल रहा खेल

कोविड काल के दौरान MP के अस्पतालों में ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ गई थी। राज्य और केंद्र सरकार ने सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के इंतजाम किए। कोरोना की पहली, दूसरी और तीसरी लहर के दौरान केंद्र, राज्य और CSR फंड से प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 211 PSA ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए। इनमे से 65 प्लांट तो प्रधानमंत्री केयर फंड से स्थापित हुए थे।

करोड़ों की लागत से स्थापित हुए ये ऑक्सीजन प्लांट (प्रेशर स्विंग प्लांट) वातावरण की ऑक्सीजन को मेडिकल ऑक्सीजन में बदलकर मरीजों तक पहुंचाने का काम करते हैं। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक संस्था क्लिंटन हेल्थ एजेंसी के सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। 211 ऑक्सीजन प्लांट में से सिर्फ 97 प्लांट ही चालू हालत में है जबकि 114 प्लांट या तो कंडम हो चुके हैं या फिर उनसे जानबूझकर ऑक्सीजन उत्पादन नहीं की जा रही है।

उद्घाटन के बाद ही प्लांट में लगाए ताले

ग्वालियर के मुरार जिला अस्पताल में पीएम केयर फंड से PSA  (प्रेशर स्विंग एड्सॉर्प्शन) ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया था। अक्टूबर 2021 में शुरू हुए इस PSA ऑक्सीजन प्लांट में उद्घाटन के थोड़े दिन बाद ही ताले डाल दिए गए।  

निजी एजेंसी के ऑक्सीजन प्लांट से भुगत रहे सरकारी अस्पताल के मरीज

PSA ऑक्सीजन प्लांट को कंडम कर या ताले डालकर सरकारी अस्पतालों में निजी कंपनियों के LMO ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं। निजी एजेंसी के LMO (Liquid Medical Oxygen) प्लांट से सरकारी अस्पतालों के मरीजों के लिए भारी भरकम दाम पर ऑक्सीजन उपलब्ध हो रही है। जिसमें भारी भरकम रकम खर्च हो रही है। इसका सीधा असर राज्य सरकार के खजाने पर पड़ रहा है। अगर मुरार जिला अस्पताल के LMO प्लांट सहित ऑक्सीजन सिलेंडर की बात करें तो निजी कम्पनीयो को ऑक्सीजन सप्लाई के लिए 40 लाख रुपए सालाना भुगतान किया जा रहा है। 

लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) पर साल में एक जिला अस्पताल पर लगभग 18 से 20 लाख का खर्चा किया जाता है

  • छोटे-बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर पर लगभग हर महीने लगभग 01 से डेढ़ लाख महीने का खर्चा किया जाता है
  • साल भर में एक जिला अस्पताल पर 40 से 50 लाख रुपये का खर्चा ऑक्सीजन का आता है
  • इस खर्चे को खत्म करने के लिए PSA प्लांट स्थापित किये गए थे
  • कमीशनखोरी में PSA से किया किनारा, LMO को दुलारा
  • प्रदेश में 211 PSA प्लांट लगाए गए थे
  • 211 PSA प्लांट में से सिर्फ 97 प्लांट ही चालू
  • 114 PSA प्लांट बन्द या खराब हुए
  • 65 PSA प्लांट PM केयर फंड से लगाये गए थे
  • औसतन एक PSA प्लांट मिनिमम 200 लीटर प्रति मिनट मेडिकल ऑक्सीजन तैयार करता है
  • वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन से मेडिकल ऑक्सीजन तैयार की जाती है

36 से 40 लाख रुपए सालाना खर्च

लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने जब मुरार जिला अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी डॉ राजेश बिरथरिया से इस मामले पर सवाल किया तो उन्होंने बताया कि PSA ऑक्सीजन प्लांट को जल्द ही मेंटेनेंस कर का चालू कराया जाएगा। बिरथरिया के मुताबिक LMO प्लांट और अन्य एजेंसी से ऑक्सीजन सप्लाय में कुल 36 से 40 लाख रुपए सालाना खर्च हो रहा है। वर्तमान में PSA प्लांट के फिल्टर सहित अन्य मशीनरी पार्ट में खराबी के कारण उपयोग नहीं लिया जा रहा है। 

बंद पड़े प्लांट को शुरू करने कवायद जारी 

मुरार जिला अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. बिरथरिया ने PSA ऑक्सीजन प्लांट की क्वालिटी पर बताया कि यह प्रदेश भर में PSA प्लांट जरूरी प्रेशर के तहत ऑक्सीजन सप्लाई नही कर पा रहे हैं। जिसके कारण काफी संख्या में प्लांट बंद पड़े हैं। हालांकी, प्रदेश लेवल पर बंद पड़े इन प्लांट को शुरू करने के लिए काम शुरू कर दिया गया है।

LMO प्लांट के भरोसे कई जिला अस्पताल 

लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने जब ग्वालियर चंबल अंचल के कुछ अन्य जिला अस्पताल का रियलिटी चेक किया तो वह सब भी ऑक्सीजन के लिए LMO प्लांट पर निर्भर नजर आये। जबकि वहां भी PSA प्लांट स्थापित है। इन सवालों के बाद जिम्मेदार अधिकारियों ने भी दावा किया है कि जल्द ही ग्वालियर चंबल अंचल सहित प्रदेश के सभी PSA ऑक्सीजन प्लांट चालू हो जाएंगे। ऐसे में एक बार फिर प्रदेश की सरकारी स्वास्थ्य मशीनरी मेडिकल ऑक्सीजन के लिए आत्मनिर्भर होगी। 

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