भोपाल। राज्य में कोरोना संक्रमण की भयावह स्थिति को देखते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने कोरोना संक्रमण की इस भयावह स्थिति से निपटने के लिए मुख्यमंत्री को कुछ सुझाव दिए हैं. जीतू पटवारी ने अपने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में लिखा कि कोराना महामारी का दूसरा दौर काफी गंभीर और चिंताजनक है.

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पटवारी ने लिखा कि इंदौर सहित प्रदेश के कई बड़े शहर, कस्बे और गांव इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं. कई स्थानों पर “कोरोना-कर्फ्यू” से लेकर “लॉकडाउन” के हालात बन चुके हैं. अस्पतालों में बिस्तरों की कमी, ऑक्सीजन का अभाव और जीवन रक्षक जरूरी दवाओं की किल्लत व कालाबाजारी आम आदमी की परेशानियों को दर्द के नए दायरे दिखा रही है. मजबूर- मजदूर से लेकर संपन्न- शख्सियत तक इतनी बेबसी पहले कभी नहीं देखी गई. गंभीर होते कोरोना संक्रमण का सामना करना, हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. मैं और कांग्रेस के कार्यकर्ता संकट की इस घड़ी में आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हुआ है.

इंदौर की छवि देश में हुई खराब
जीतू पटवारी ने लिखा कि पिछले दिनों चिकित्सकीय अव्यवस्था और कमजोर प्रशासनिक प्रबंधन से इंदौर की छवि पूरे देश में बहुत खराब हुई है. उन्होंने इंदौर के संदर्भ में सुझाव देते हुए बतााया कि राधा स्वामी सत्संग व्यास जैसे संगठनों के पास बड़े स्थान की उपलब्धता है. यहां हम अस्थाई कोविड-हॉस्पिटल बनाकर, सुरक्षित तरीके से उसका संचालन कर सकते हैं. यदि राज्य सरकार इस पहल पर काम शुरू करती है तो इस काम में वे इंदौर शहर के सामाजिक, सांस्कृतिक, व्यापारिक, औद्योगिक जैसे अन्य सभी संगठनों का सहयोग भी ले सकते हैं. इंदौर में बड़ी संख्या में ऐसी स्वयंसेवी संस्थाएं भी हैं, जो अपना स्वैच्छिक योगदान करेंगी.

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कोरोना काल में दिल्ली मॉडल पर काम करने का दिया सुझाव
पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने पत्र में लिखा कि मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि पिछले साल मार्च में हुए लॉकडाउन के बाद दिल्‍ली में कोविड केयर या क्वारंटीन सेंटर बनाने पर जोर दिया गया था. इसी क्रम में दिल्‍ली के छतरपुर में एक क्वारंटीन सेंटर बनाया गया था. 10 हजार 200 बेड के इस अस्‍पताल में कोरोना मरीजों के उपचार के लिए सभी उपकरण रखे गए थे. राधास्‍वामी सत्‍संग व्यास में बने इस केयर सेंटर/अस्‍पताल में 10 डेडिकेटेड केयर लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस, एक्‍स रे, ऑक्सीजन सिलेंडर, पल्‍स ऑक्‍सीमीटर, सक्‍शन मशीन और बाई पैप मशीन आदि रखे गए थे. जिससे लोगों को क्‍वेरेंटीन के दौरान ही अस्‍पताल की सुविधाएं भी दी जा सकें. वैकल्पिक और अस्थाई विकल्प के रूप में यदि ऐसे किसी निर्णय को हम अमल में लाते हैं, तो दिल्ली जैसे उदाहरण का हम अपने बेहतर प्रबंधन के लिए अध्ययन कर सकते हैं.

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इन बिन्दुओं को गंभीरता से लेने की बात लिखी-
· कोरोना की जांच एक अभियान के रूप में शुरू की जानी चाहिए. इसके लिए आवश्यक संसाधन तुरंत उपलब्ध करवाएं.
· जिस इलाके में मरीजों की संख्या के हिसाब से संक्रमण के दायरे में बार-बार आ रहे हों, वहां लक्ष्य तय कर तुरंत कोरोना जांच का काम शुरू और खत्म किया जाना चाहिए.
· संक्रमण की अधिकता वाले क्षेत्रों में घर-घर जाकर टेस्‍ट किए जाएं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को चिकित्सकीय परीक्षण के दायरे में लाया जा सके.
· कोरोना वैक्‍सीनेशन के लिए और अधिक जागरूकता की आवश्यकता है. इस कार्य को भी युद्ध स्तर पर पूरा किया जाना चाहिए.
· कोरोना वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर किए जा रहे दावों की सत्यता का परीक्षण उच्च स्तर पर होना चाहिए क्योंकि प्रदेश के एक बड़े हिस्से में अभी भी इसकी कमी बनी हुई है. वैक्सीन की अपेक्षित उपलब्धता पर बहुत गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है.
· कोरोना उपचार के लिए आईसीयू, एचडीयू और ऑक्‍सीजन बेड की उपलब्‍धता बढ़ाई जानी चाहिए. यह कार्य इस तरह से किया जाना चाहिए कि मुख्यमंत्री कार्यालय से प्रतिदिन बढ़ी हुई संख्या और अगले दिन के लक्ष्य का ब्यौरा जारी किया जाए.