मनीष राठौर, राजगढ़। कोरोना संक्रमण काल में बीते एक साल से जान जोखिम में डालकर काम कर रहे संविद स्वास्थ्य कर्मचारियों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर मोर्चा खोल दिया है. जीरापुर ब्लाक में संविदा पर नियुक्त कोविड सेंटर में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने 25 मई को काम बंद हड़ताल की चेतावनी भी दी है.
कर्मचारियों ने बताया कि कोरोना मरीजों के बीच अपने घर परिवार को छोड़कर उनकी देखभाल व उपचार में जुटे हुए हैं. अब संक्रमण का असर कम होने लगा है तो कर्मचारियों की मई जून माह तक सेवाएं समाप्त की जा रही है. कोविड सेंटर में पदस्थ सीएमओ को उनके पद स्थापना स्थल पर पहुंचने के आदेश जारी किए गए हैं। कोरोना संक्रमण के दिनों में स्वास्थ विभाग की व्यवस्थाओं को संभालने के लिए ब्लाक में संविदा पर कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी.
काम निकल जाने के बाद अब कार्यमुक्त
जो दिन रात शासन के निर्देशानुसार कोविड पॅाजिटिव मरीजों के बीच एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों का उपचार करते रहे. उनके सैंपल जांच एकत्र कर पहुंचाने सहित अन्य व्यवस्था जुटाते रहे. शासन का काम निकल जाने के बाद उन्हें अब कार्य मुक्त किया जा रहा है. जो पूर्णतया उचित नहीं है. विभाग द्वारा उन्हें कोई पहचान पत्र भी प्रदान नहीं किया गया. कर्मचारियों ने कोरोना संक्रमण के दौरान किये गये कार्यों को देखते हुए शासन से नियमितीकरण की मांग की है.
कर्मचारी 25 मई को काम बंद हड़ताल रहेंगे
आयुष डाक्टर अल्ताफ अली ने बताया कि सभी कर्मचारियों ने ब्लाक मेडिकल आफिसर डॅाक्टर विवेक दुबे के मार्गदर्शन में अपनी सेवाएं प्रदान की हैं. छात्रावास में संचालित कोविड सेंटर पर बेहतरीन सेवाएं प्रदान की गई. जिला कलेक्टर, सांसद रोडमल नागर सहित प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधियों द्वारा भी इसका निरिक्षण किया गया है. इस अवसर पर डाक्टर अल्ताफ अली, आदिल खान, आयुष मेडिकल आफिसर, दुर्गेश शर्मा सीएचओ, मनीष राठौर, अर्चना किरार, शोभा किरार, बबीता हाडा, प्रियंका किरार, संदीप राठौर, जीवन पहाडिय़ा, राधा चौधरी, कृष्णा दांगी, हेमलता दांगी, सुनील कारपेंटर, भगवान किरार, संजय गुर्जर सहित अन्य कर्मचारी मौजूद थे.
डेढ़ माह की मासूम को घर पर छोड़कर सेवाएं
कोविड सेंटर पर तैनात कृष्णा दांगी पिपलिया कला अपनी डेढ़ महीने की बेटी को घर पर छोड़कर मरीजो का उपचार कर रही है. इसी तरह शोभा किरार भी अपनी दो माह की बच्ची को घर पर छोड़ सेवाएं दे रही है. महिला कर्मचारियों ने बताया कि कोरोना संक्रमण से स्वयं को व परिवार को सुरक्षित रखते हुए मरीजों के बीच रहकर लगातार ड्यूटी करते रहे हैं. दूधमुंहें बच्चों को घर पर छोड़कर और जाने के बाद बच्चों की देखभाल करते रहे.
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