रवि रायकवार, दतिया। शासन-प्रशासन के नुमायंदे गरीबों को ‘पीएम आवास’ योजना का लाभ पहुंचाने का दावा करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बया करती है. ऐसा ही एक मामला दतिया जिले से सामने आया है. जहां एक दलित विधवा महिला आवास के लिए सालों से अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काट रही, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. यह मामला सामने आने के बाद प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
दरअसल, यह पूरा मामला उनाव सर्किल के रिछरा ग्राम का है. जहां की रहने वाली शांति बाल्मीकि का मकान पूरी तरह से जर्जर होकर गिर चुका है. वह रिछरा से सड़वारा में किराए के मकान में रहने को मजबूर है. पीएम आवास योजना का लाभ लेने के लिए वह जनपद सीईओ से लेकर कलेक्टर कार्यलय के कई बार चक्कर लगा चुकी है, लेकिन जिम्मेदार कुंभकरण की नींद सो रहे हैं. महिला की कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
ऐसे उसने किसी अन्य शख्स के सोशल मीडिया के जरिए सीएम डॉ मोहन यादव से गुहार लगाई है. फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि महोदय मैं आपसने निवेदन करती हूं कि मेरी कुटी की कोई सुनवाई नहीं हो रही है. मेरे जिला दतिया में काफी लोगों के नाम लिस्ट मेंआ चुके हैं. कृपया आपसे निवेदन है कि मेरी कुटी का इंतजाम जल्द से जल्द करें. वहीं अब देखना होगा कि क्या महिला को पीएम आवास का लाभ मिलता है या नहीं?
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