कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के चीफ जस्टिस के बंगले में मंदिर तोड़े जाने के आरोप पर बवाल मचा हुआ है। इसको लेकर अब कानूनी लड़ाई और ज्यादा तेज हो गई है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के वकीलों के बाद अब सुप्रीम कोर्ट आर्गोइंग काउंसिल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखकर देश के तमाम हाई कोर्ट परिसर, सरकारी ऑफिस और पब्लिक प्लेस से मूर्ति और धार्मिक स्ट्रक्चर को हटाने की मांग की है। यही नहीं काउंसिल द्वारा सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में कहा गया है कि, जिस तरह से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत के खिलाफ मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए न केवल उनकी छवि को धूमिल किया जा रहा है बल्कि पूरी न्यायिक प्रक्रिया को ही धराशाई करने की बात कही गई है। 

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लेटर के माध्यम से बताया गया है कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा चीफ जस्टिस के बंगले में मंदिर तोड़े जाने के आरोप को लेकर एक लेटर कुछ मीडिया और सोशल साइट पर भी वायरल किया जा रहा है, जो की पूरी तरह से दुर्भावनावश प्रतीत होता है। पत्र के माध्यम से कहा गया है कि इस तरह के आरोप लगाना न केवल पुरी ज्यूडिशल सिस्टम को टारगेट करना है, बल्कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर भी हमला है। लेटर के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को ध्यान दिलाया गया है कि, यह आरोप सुनियोजित तरीके से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर हमला है। 

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में कहा गया है क्योंकि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में हाल ही में मध्य प्रदेश के तमाम थाना परिसर में बनाए गए मंदिर को लेकर सुनवाई चल रही है। जिसमें सरकार के साथ तमाम बॉडी से जवाब तलब किया गया है। हाई कोर्ट ने पूछा है कि आखिर थाना परिसरों में जो की सरकारी संपत्ति वहां पर मंदिर किसके इजाजत से बनाए गए हैं और इसके पीछे किसका हाथ है। साथ ही थाना परिसरों में बने या बनाए जा रहे मंदिरों की यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश भी दिए हैं। यही वजह है कि दुर्भावनावश और इरादतन चीफ जस्टिस पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने अपने सरकारी बंगले पर बने मंदिर को तुड़वाने का आर्डर किया है। जबकि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से इस बारे में स्थिति क्लियर कर दी गई है कि ऐसा कुछ भी नहीं है। लेटर में ये भी कहा गया है कि इस तरह से एक अधिवक्ता द्वारा जो कि खुद भी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का मेंबर भी है। वह बिना वेरीफाई किए , बिना सच्चाई जाने आरोप लगा रहे हैं, जो कि कहीं से भी संवैधानिक नहीं है। संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को कोर्ट परिसर , सरकारी परिसरों में बने मंदिरों और मूर्तियों को हटाने की भी मांग की है।

इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट का आ चुका है फैसला

आपको बता दे कि सार्वजनिक स्थान खासकर के सरकारी संस्थानों में इस तरह से मंदिर बनाकर एंक्रोचमेंट करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों का भी फैसला चुका है।  जिसमें उन्होंने कहा है कि, इस तरह से सरकारी परिसर में मंदिर बनाकर एंक्रोचमेंट करना सही नहीं है।

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