अजय नीमा, उज्जैन। देश में जहां पत्नियों के झूठे आरोप की वजह से पति जान दे रहे हैं, वहीं मध्य प्रदेश के उज्जैन में एक पति के संघर्ष की गजब कहानी सामने आई है। जिसने बताया कि, अगर सही से अपनी बात और कानून के साथ चला जाए तो देर से ही सही पर न्याय जरूर मिलेगा।
क्या है मामला
दरअसल, उज्जैन में दहेज प्रताड़ना का एक मामला सामने आया था। जिसमें पत्नी ने पति पर दहेज और मारपीट के गंभीर आरोप लगाए। इसके बाद पति ने लगभग 500 पन्नों के ठोस सबूतों को पेश किया। फिर क्या था थाने में पूरे प्रकरण को ही खारिज कर दिया है। यह घटना न्याय की जीत के तौर पर देखी जा रही है। और उन लोगों के लिए एक सबक है जो झूठे आरोपों के आधार पर किसी को परेशान करते हैं।
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शुरुआत से जानते हैं
साल 2023 में उज्जैन के महिला थाने में अजमेर निवासी ललित शर्मा के खिलाफ उनकी पत्नी द्वारा दहेज प्रताड़ना और मारपीट का मामला दर्ज कराया गया था। इसपर पुलिस ने अपराध क्रमांक 38/23 धारा 491, 323, 294, 506 भादवि के तहत मामला दर्ज किया गया। ललित शर्मा ने शुरुआत से ही खुद को बेगुनाह बताया और जांच में सहयोग करने की कोशिश की। लेकिन, तत्कालीन जांच अधिकारी द्वारा उनकी बात नहीं सुनी गई। ऐसे में उसने न्यायालय में जांच अधिकारी बदलने की गुहार लगाई। अदालत के आदेश के बाद मामले की जांच उपनिरीक्षक मानसिंह झाला को सौंपी गई। इस दौरान ललित शर्मा ने अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए लगभग 500 दस्तावेजी सबूत पेश किए। इन सबूतों में उनकी निर्दोषता से जुड़े कई महत्वपूर्ण तथ्य शामिल थे।
14 महीने चली न्याय की लड़ाई
करीब 14 महीने तक चली लंबी जांच के बाद, जब उपनिरीक्षक मानसिंह झाला ने अपनी रिपोर्ट न्यायालय में पेश की, तो कोर्ट ने ललित शर्मा द्वारा प्रस्तुत किए गए सबूतों को सही पाया। कोर्ट ने माना कि ललित शर्मा के खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायत निराधार थी और घटना के समय वह घटनास्थल पर मौजूद भी नहीं था। इसके बाद न्यायालय ने इस पूरे प्रकरण को खारिज करने का आदेश जारी कर दिया।
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थाने पहुंचकर किया आभार व्यक्त
न्याय के बाद ललित शर्मा ने आज महिला थाने पहुंचकर उपनिरीक्षक मानसिंह झाला का आभार व्यक्त किया। इतना ही नहीं उन्हें धन्यवाद पत्र भी सौंपा। उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से भी ईमानदार जांच के लिए उपनिरीक्षक झाला को पुरस्कृत करने का आग्रह किया। इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ललित शर्मा ने कहा कि दहेज प्रताड़ना के झूठे मामलों से घबराने की जरूरत नहीं है। यदि आप सही हैं तो अपने पक्ष को मजबूती से रखें और कानूनी प्रक्रिया का पालन करें। उन्होंने यह भी सलाह दी कि ऐसे मामलों में सबसे पहले आरटीआई के माध्यम से एफआईआर की प्रक्रिया की जानकारी हासिल करें और अधिकारियों के समक्ष अपनी बात स्पष्ट रूप से रखें।
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