कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश में भूमाफियों से जुड़े यूं तो बहुत मामले सामने आते रहते हैं। लेकिन इन दिनों MP में सबसे ज्यादा चर्चा माफी औकाफ मंदिरों की जमीन की है। ग्वालियर चंबल अंचल में खनन माफिया, शिक्षा माफिया, मेडिकल माफिया, शराब माफिया के साथ ही भू-माफियाओं पर अब सख्त एक्शन शुरू हो गया है। ग्वालियर जिला प्रशासन ने इसको लेकर फुल-प्रूफ प्लान भी बना लिया है। जिले में “मंदिरों की अधिकांश जमीन पर भूमाफियाओं का कब्ज़ा” हो गया है।
आजादी से पहले हुआ था पब्लिक मंदिरों का निरीक्षण
4 अगस्त 1931 को तत्कालीन ग्वालियर स्टेट के द्वारा पब्लिक मंदिरों का निरीक्षण किया गया था। इसमें 78 मंदिर सूचीबद्ध किए गए थे। वहीं आजादी के बाद जिले में इनकी संख्या बढ़कर 865 मंदिर हो गई थी। जिसे लगभग 4290 हेक्टेयर भूमि भी दी गई थी। हैरानी की बात यह है कि माफियाओं की सांठगांठ के खेल से राजस्व विभाग के पटवारियों और अफसरों ने मंदिरों के खसरों में बदलाव कर डाले। यही वजह है कि ऐसे मंदिरों के नाम वाली जमीन बाद में अब निजी दर्ज हो चुकी है।
इस बड़े मुद्दे को उजागर करने वाली RTI एक्टिविस्ट एड संकेत साहू का आरोप है कि, आज माफी औकाफ मंदिरों की जमीन कब्जे में आ चुकी है या फिर खुर्द बुर्द कर दी गई है। आज इन भूमाफियाओं ने प्रशासन की नाक के नीचे कॉलोनियां उन्हीं जमीन पर बसा ली है। 16 जून 2023 को संभागीय कमिश्नर को संकेत ने शिकायत की थी। जिस पर अब संज्ञान लिया गया है और मंदिर देवस्थान पर कब्जा कर किए जा रहे निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई है। हालांकि संकेत साहू ने एक बड़ा गंभीर आरोप यह भी लगाया है कि सरकारी वकील कोर्ट में शासन का पक्ष सही तरीके से नहीं रख रहे हैं या फिर वह माफिया से मिल गए हैं। जिसके चलते शासन लगातार ऐसे केसों में हार का सामना कर रहा है।
ग्वालियर जिले में मंदिरों और सरकार की जमीन के ये हैं हाल
जिले में मंदिर व उनके नाम कितनी जमीनें
- ग्वालियर तहसील
183 राजस्व ग्रामों में 352 धर्म स्थल हैं। इनके नाम 1091.79 हेक्टेयर भूमि है। यहां मंदिरों की काफी जमीन खुर्दबुर्द हो गई है।
- डबरा तहसील
123 राजस्व ग्रामों में 285 धर्म स्थल हैं। इनके नाम 2122.47 हेक्टेयर जमीन है। इस तहसील के गांवों में मंदिरों की जमीन को खुर्दबुर्द करने के मामले सामने आ चुके हैं।
- भितरवार तहसील
117 राजस्व ग्रामों में 228 धर्मस्थलों के नाम 1076.65 हेक्टेयर जमीन है। भितरवार में मंदिरों के नाम बड़े रकवे मौजूद हैं। यहां भी जमीनें खुर्दबुर्द हुई हैं।
ग्वालियर जिले के वह मंदिर जिनकी जमीन पर हुआ कब्जा
- गंगादास की बड़ी शाला के नाम पर 85 बीघा जमीन है।
- शिंदे की छावनी स्थित महादेव ट्रस्ट की अलग-अलग पटवारी हलकों में 120 बीघा जमीन दर्ज है।
- अम्मा जी महाराज निंबालकर की गोठ के पास लगभग 50 बीघा जमीन है।
- गजराराजा चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम शहर में लगभग 73 बीघा जमीन है।
- रामजानकी मंदिर छोटी शाला के नाम पर शहर और आसपास के गांवों में 100 बीघा से ज्यादा जमीन है।।
- नरसिंह मंदिर बेहट के नाम पर लगभग 187 बीघा जमीन है।
- इन जमीनों में से अधिकांश जमीन भूमाफियाओं के नाम रिकार्ड में दर्ज हो चुकी है।
भू-माफिया और राजनीति
मुद्दा क्योंकि भूमाफिया और उसके किए अतिक्रमण कब्जे से जुड़ा है, ऐसे में भला राजनीति कैसे पीछे रह सकती है। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता डॉ.राम पांडे का आरोप है कि केप्रदेश में लंबे समय से सत्ता में काबिज BJP की सरकार के इशारे पर ही यह सब होता आ रहा है। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि आज माफी औकाफ और मंदिरों की ज्यादातर जमीनों पर बीजेपी के ननेताओं या फिर उनके कार्यकर्ताओ के कब्जे है। यही वजह है कि प्रशासन सिर्फ खोखले दावे करता है, कार्रवाई नहीं होती है।
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MP की मोहन सरकार भू माफियाओं को खदेड़ रही-BJP
कांग्रेस के इन गंभीर आरोपों पर BJP सांसद भारत सिंह कुशवाह का बयान भी सामने आया है। उनका कहना है कि MP की मोहन सरकार भूमाफियाओ को खदेड़ रही है। मंदिरों के हित में काम करवा रही है। उनके संरक्षण के साथ सम्वर्धन का काम भी करवा रही है। हकीकत तो यह है कि कांग्रेस के लोग ही अतिक्रमणकारी है। जिसका उदाहरण MP वक्फ बोर्ड अध्यक्ष सनवर पटेल के बयान से समझा जा सकता है। सनवर पटेल का आरोप है की प्रदेश भर में वक्फ की बड़ी सम्पत्ति पर कांग्रेस नेताओं और पदाधिकारीयो का कब्जा है। मोहन सरकार के एक्शन से कॉंग्रेस डरी हुई है।
क्या बोलीं ग्वालियर कलेक्टर
धार्मिक, सामाजिक ट्रस्ट, माफी-औकाफ की ग्वालियर शहरों में मौजूद अधिकतर जमीनों को खुर्दबुर्द किया जा चुका है। ट्रस्ट, सरकारी अधिकारी-कर्मचारी और भू माफिया के गठजोड़ ने धर्मस्थलों की जमीनों पर कॉलोनियां बसा दी हैं। जबकि पुरानी धर्मशालाओं के स्वरूप को नियम विरुद्ध खत्म करके या तो होटल बन गए हैं या अन्य व्यावसायिक कामों में उपयोग किया जा रहा है। ऐसे में इस गम्भीर मामले पर ग्वालियर कलेक्टर रूचिका चौहान का कहना है कि हमने मंदिरों और सरकार की जमीन का सर्वे करवा लिया है, मंदिरों और सरकारी जमीनों से कब्जे हटाने भी शुरू कर दिए हैं। ये कार्रवाई अब लगातार जारी रहेगी।
सियासत से ऊपर उठकर अब शासन भू-माफियाओं पर एक्शन लेने तैयार है। ऐसे में अब देखना होगा की प्रशासन इस पर किस तरह का एक्शन लेता है। और कार्रवाई की जद में क्या राजनीतिक चेहरे भी उजागर होंगे।
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