देवेंद्र चौहान, भोजपुर। नर्मदापुराम और उसके आसपास लगे 5 जिलों से रोजाना भोपाल आने वाली रेत की सप्लाई शनिवार देर रात से बंद हो गई है. भोपाल तक ये रेत लाने वाले डंपर मालिकों ने हड़ताल का ऐलान किया है. अपनी तीन मांगों पर अड़े डंपर मालिकों ने रेत सप्लाई की जिम्मेदारी संभालने वाली कंपनियों पर कई आरोप लगाए हैं. औबेदुल्लागंज में सोमवार को भोपाल रेत एसोसिएशन की बैठक की गई. इस बैठक में मांगे नहीं मानने पर हड़ताल जारी रखने की बात कही गई.
राजधानी भोपाल में नर्मदापुरम, सीहोर, रायसेन, बैतूल और नरसिंहपुर जिलों से रेत की सप्लाई की जाती है. इन जिलों में पांच कंपनियों को रेत खनन और सप्लाई का काम मिला है. एसोसिएशन के सदस्य ईश्वर चौहान तामोट का आरोप है कि छोटे डंपर मालिकों को कंपनियां रेत 36 हजार प्रति डंपर के भाव से दे रही हैं. जबकि इसके लिए केवल 24 हजार रुपए लिए जाने चाहिए. पांचों नाकों पर कंपनियों ने अपने लड़के बिठाए हैं, जो भेदभाव करते हैं.
आरोप यह भी है कि कंपनी ऑनलाइन पेमेंट भी नहीं ले रही है. इससे रेत कच्चे बिल पर उठानी पड़ती है और कच्चे बिल पर ही सप्लाई भी होती है. डंपर संचालकों को जीएसटी में रिबेट नहीं मिल पाता. रोजाना भोपाल में 4 लाख घन फीट रेत की जरूरत पड़ती है. जानकारों का कहना है कि भोपाल में मैकेनिकल सेंड (एम-सेंड) का कब्जा बढ़ता जा रहा है.
अब तक भोपाल में करीब 40% रेत बाजार पर एम-सेंड का कब्जा हो गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि एम-सेंड प्राकृतिक रेत की अपेक्षा ज्यादा सस्ती और आसानी से मिल जाती है. बारिश के समय लगने वाली एनजीटी बारिश खत्म होने के बाद हट गई है. लेकिन उसके बाद भी रेत ठेकेदार बंद रेत खदानों के आधार पर ही रॉयल्टी ले रहे हैं. जबकि एनजीटी हटने के बाद रेत के रेट कम हो जाते हैं. लेकिन ठेकेदारों की दबंगई के आगे प्रशासन भी नतमस्तक दिखाई दे रहा है.
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