रायसेन. जिला रायसेन में इस समय किसानों की हालत दयनीय है. जिले की सड़कें और नहर का पानी इस बार टमाटर से लाल हो रहा है. दाम नहीं मिलने से किसान बड़ी मात्रा में मजबूरी में टमाटर फेंक रहे है. रायसेन के बाड़ी क्षेत्र में टमाटर का बंपर पैदावार के बाद भी सही दाम नहीं मिलने से किसान परेशान है. टमाटर खेतों में सड़कर खराब होने लगा है. वहीं बाजार में भी लागत मूल्य के बराबर खरीदी नहीं हो रही है. हजारों एकड़ खेत में टमाटर की पैदावार करने वाले किसानों को इस बार बीज, दवाई. तोड़ाई सहित अन्य खर्च निकालना मुश्किल हो गया है. बता दें कि प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत रायसेन को टमाटर जिला घोषित किया गया है.
हजारों एकड़ में किसानों ने की थी टमाटर की खेती
टमाटर के दामों में आई गिरावट से किसानों को 22 किलोग्राम के एक कैरेट को 40 रुपये में बेचना पड़ रहा है. इसके बावजूद भी टमाटर के खरीददार नहीं मिल रहे. रायसेन जिले से उत्तर और दक्षिण भारत में बड़ी मात्रा में टमाटर भेजा जाता है. इसी के चलते लोग यहां दर्जनों एकड़ में टमाटर की खेती करने लगे है. इस बार बारिश में अधिक महंगा होने के कारण किसानों ने बड़ी मात्रा में टमाटर की खेती की थी. अब टमाटर के दाम कम होने के कारण उन्हें लागत का मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. मजबूरीवश किसान टमाटर को फेंक रहे हैं.
लॉकडाउन में गाड़ी नहीं चलने का व्यापारी बना रहे बहाना
12 वर्ष से टमाटर की खेती करने वाले किसान सुरेन्द कुमार तिवारी ने बताया कि 4 एकड़ में टमाटर लगाए थे. लगभग डेढ़ लाख रुपये का खर्च आया. स्थिति यह है कि एक कैरेट टमाटर 40 से 50 रुपये में बिक रहे हैं. घाटे में चल रहे व्यापारी नहीं आ रहे है. व्यापारी भी बहाना बना रहे है कि लॉकडाउन के कारण गाड़ी नहीं जा रही. किसानों को नुकसान से बचाने सरकार ने कोई योजना नहीं बनाई है.
प्रोसेसिंग यूनिट के लिए आवेदन
राज्य के कृषि एवं उद्यानिकी विभाग ने इस बार किसानों को टमाटर की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है. प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत कुछ किसान ऐसे हैं, जिन्हें फुड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है. विभाग ने दावा किया है कि इस संबंध में कुछ आवेदन भी आए हैं. उद्यानिकी विभाग ने नई तकनीकी के साथ खेती कराने और शासकीय योजनाओं के तहत किसानों को फायदा पहुंचाने का भरोसा भी दिलाया है.