शिखिल ब्यौहार, भोपाल। भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र द्वारा उज्जैन सिंहस्थ को लेकर किसानों की लगभग सात हजार एकड़ भूमि अधिग्रहण करने के लिए अपनाई जा रही प्रक्रिया और तौर तरीकों पर नाखुशी जाहिर की है। मुख्यमंत्री के नाम लिखे पत्र में मिश्र ने सात बिंदुओं के सुझावों पर तत्काल विचार करते हुए उज्जैन सिंहस्थ प्रभावित किसानों समेत किसान संघ से चर्चा करने की बात कही है। किसान संघ के सिंहस्थ प्रभावित किसानों के पक्ष में आने के कारण प्रशासनिक महकमे में सरगर्मी बढ़ गई है।

क्या है पत्र में

किसान संघ के पत्र में सिंहस्थ आयोजन की तैयारी में किसानों की जमीन अधिग्रहण, उस पर स्थाई निर्माण, विकसित जमीन देने की शर्ते, भक्तों के आने के सटीक आंकलन, व्यवस्थाओं आदि को लेकर कई प्रश्न चिन्ह खड़े किए। साथ ही किसानों की खेती योग्य जमीन पर कांक्रीट के स्थायी निर्माणों को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुये सरकार को किसानों की तरफ से सुझाव भी दिये हैं।

ये हैं सुझाव 

किसान संघ ने सुझावों में स्पष्ट कहा है कि देश की सभी सांस्कृतिक यात्रायें खेती किसानी से जुड़ी हैं इसलिये सरकार किसान संघ व किसानों से अवश्य चर्चा करें। उज्जैन सिंहस्थ में स्थायी निर्माण के बजाय नदी के किनारे-किनारे मेला बनाने की बात पत्र में कही गई है, जिसके लिये किसान सहमत हैं। पूर्व की भांति 2 से 3 माह के लिये जमीन अधिग्रहण करने, उत्तरप्रदेश महाकुंभ की भांति अस्थायी निर्माण, जल निकासी की व्यवस्था भूमिगत करने, 6 माह के लिये अधिग्रहित जमीन का पर्याप्त मुआवजा, रास्ते, बिजली, पानी, सीवेज के लिये किसी भी प्रकार से स्थायी निर्माण न करने की सलाह पत्र में शामिल हैं।

भूमि अधिग्रहण के नाम पर सिर्फ आश्वासन की खेती

अभी हाल में ही भारतीय किसान संघ ने संघ मुख्यालय नागपुर में आयोजित प्रबंध समिति की बैठक में देश में भूमि अधिग्रहण कानून किसान हितैषी बने इसको लेकर प्रस्ताव भी पारित किया जा चुका है। जिसमें देश भर के 43 प्रांतों के किसानों से 15विंदुओं पर एक प्रोफार्मा के माध्यम से राय भी ली गई है। जिसमें देश भर के सभी किसानों ने एकमतेन होकर विकास के नाम पर होने वाले भूमि अधिग्रहण को मात्र आश्वासन की खेती कहते हुये विरोध दर्ज कराया है। पारित प्रस्ताव के सुझावों को केंद्र व राज्य सरकारों को भी भेजा गया है।

विवादित लैंड पुलिंग एक्ट वापिस लेने की उठी मांग

विगत दिनों पंजाब में सत्तासीन आम आदमी पार्टी की सरकार ने किसानों की जमीन अधिग्रहण करने के लिये लैंडपुलिंग एक्ट लेकर आई थी। जिसका पंजाब के सभी किसानों व किसान संगठनों ने जबरदस्त विरोध किया और सरकार की नीति को सिरे से नकार दिया। सोमवार को आवास व शहरी विभाग के मुख्य सचिव ने प्रेस नोट जारी करते हुये कहा कि राज्य सरकार ने लैंड पुलिंग एक्ट पालिसी व इसके तहत किये सभी संशोधनों, फैसलों को वापिस ले लिया है। हाईकोर्ट ने भी नीति के कानूनी औचित्य, पर्यावरण, सामाजिक आंकलन व पुनर्वास पर गंभीर प्रश्न खड़े किये थे। जिसके बाद मध्यप्रदेश में भी लैंड पुलिंग एक्ट को वापिस लेने की मांग तेज हो गई है।

सिंहस्थ मामले में किसान संघ और सरकार आमने सामने

आगामी उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ की तैयारियों को लेकर जारी किसानों के भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया किसान हितैषी न होने पर भारतीय किसान संघ मध्यप्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल सकता है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार किसान संघ ने मुख्यमंत्री से सीधे सीएम हाउस में मिलकर सिंहस्थ में प्रभावित किसानों के मामले में अपनी आपत्ति दर्ज करा दी थी। जिस पर सरकार के रवैये से किसान संघ खुश नहीं है। प्रदेश के तीनों प्रांतों में संगठन की बैठकों का क्रम जारी है। कभी भी सिंहस्थ भूमि अधिग्रहण मामले में किसान संघ व सरकार आमने सामने आ सकते हैं।

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