अजयारविंद नामदेव, शहडोल। जिले के पपौंध क्षेत्र से एक बेहद चिंताजनक और हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जिसने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था और आधारभूत विकास की हकीकत को कठघरे में खड़ा कर दिया है। ग्राम बरा बघेलहा की गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए उसके परिजनों को पहले दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ा, फिर नाव के सहारे जान जोखिम में डालकर सोन नदी पार करनी पड़ी। इसके बाद कच्चे रास्ते से होते हुए प्राइवेट वाहन के जरिए महिला को अस्पताल पहुंचाया गया।

एंबुलेंस चालक ने की बदतमीजी

जिले के अंतिम छोर पर स्थित पपौंध क्षेत्र के ग्राम बरा बघेलहा की गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल पहुंचाया गया। गर्भवती के लिए जब एंबुलेंस की मदद मांगी गई, तो चालक ने न सिर्फ सहयोग करने से इनकार किया, बल्कि परिजनों से ऊंचे स्वर में बद्तमीजी से बात की, जिससे परिजनों को मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ी। सरकारी संसाधनों की बजाय परिजन अपने दम पर जोखिम उठाकर अस्पताल तक पहुंच पाए।

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कई साल बाद भी पुल निर्माण नहीं हुआ शुरू

बता दें कि ग्राम पंचायत विजयासोता में लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी सोन नदी पर पुल निर्माण के लिए 112 करोड़ की राशि स्वीकृत की जा चुकी है, लेकिन कई साल के बाद भी निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। इसकी वजह से आसपास के 60 से ज्यादा गांवों के लोग आज भी नाव से नदी पार करते हैं। बारिश में जब नदी उफान पर होती है, तब ये सफर और भी खतरनाक हो जाता है। अधूरे पुल, कछुआ गति से काम और प्रशासनिक लापरवाही ने ग्रामीणों को असुरक्षित हालात में जीने को मजबूर कर दिया है।

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