टीकमगढ़. जिला परिवहन विभाग में पुलिस अधिकारी का फर्जी सील बनाकर हैवी लाइसेंस बनाने वाले एक कर्मचारी और दलाल को पुलिस ने जेल भेज दिया है. वहीं धोखाधड़ी का मास्टर माइंड अब-तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.
हैवी लाइसेंस बनाने खुद ही कर देते थे वेरीफिकेशन
जिला परिवहन विभाग में हैवी लाइसेंस बनाने के नाम पर गोरख धंधा चल रहा था. यहां के जिला परिवहन अधिकारी की मिलीभगत से हैवी लाइसेंस बनाने के लिए पुलिस का वेरीफिकेशन न कराकर फर्जी तरीके से सील लगाकर खुद वेेरीफिकेशन कर लेते थे. इसके एवज में लोगों से मोटी रकम ली जाती थी. इसकी शिकायत लोगों ने कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक से की थी. शिकायत के बाद उनके निर्देश पर 3 अप्रैल को जिला परिवहन कार्यालय में छापेमारी की गई थी. छापेमारी के दौरान फर्जी रिकार्ड जब्त किया गया था. पुलिस ने जिला परिवहन अधिकारी निर्मल कुमरावत, बड़े बाबू रामलखन शर्मा और एक दलाल छोटू मिश्रा के खिलाफ धारा 420, 471, 468 के तहत मामला पंजीबद्ध किया था. पुलिस ने बाबू और दलाल को रिमांड पर लिया था. आज उनको जिला कोर्ट में पेश किया गया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया है.
200 लाइसेंस बनाने में पुलिस वेरीफिकेशन फर्जी होने की आशंका
देहात थाना प्रभारी ने बताया कि अभी तक जिला परिवहन कार्यालय से 500 हैवी लाइसेंस बनाया जा चुका है. 200 ऐसे लाइसेंस निकले जिसमें पुलिस वेरीफिकेशन फर्जी होने की जांच की जा रही है. पुलिस को जांच में 21 संदिग्ध दस्तावेज और 7 फाइल फर्जी पाई गई. 23 फाइल बिना पुलिस वेरीफिकेशन के मिले हैं. अभी भी पुलिस छानबीन में जुटी हुई है. परिवहन विभाग के दलालों से भी पड़ताल की जा रही है.