कुमार इंदर, जबलपुर। जबलपुर स्मार्ट सिटी प्राइवेट लिमिटेड को 1 करोड़ 31 लाख की चपत लगी है। इस मामले में पुलिस ने टास्क मैनेजर के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। स्मार्ट सिटी ने निजी RBL बैंक में एक बचत खाता खुलवाया फिर सरकारी बैंक में जमा करोड़ों रुपये आरबीएल बैंक में ट्रांसफर करवाए। RBL बैंक के स्टाफ ने गुपचुप तरीके से जबलपुर स्मार्ट सिटी के बचत खाते को चालू खाते में बदल दिया। इस खाते से अफसर मनमर्जी से पैसे निकालने लगे। अब खुलासा हुआ है कि स्मार्ट सिटी को एक करोड़ 31 लाख की चपत लग चुकी है। शिकायत पर मदन महल थाना पुलिस ने आरबीएल बैंक इंदौर की विजयनगर शाखा के तत्कालीन टास्क मैनेजर कुमार मयंक के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
इंदौर के आरबीएल बैंक के टास्क मैनेजर पर एफआईआर के बाद हड़कंप मच गया है, क्योंकि ये तो तय है कि जिस तरह से स्मार्ट सिटी के खातों से रकम इधर-उधर की गई वो अकेले टास्क मैनेजर कुमार मयंक के बस की बात नहीं है। पुलिस को आशंका है कि इस फर्जीवाड़े में बैंक के उच्चाधिकारी भी बराबर के भागीदार हैं। बात पुलिस जांच तक पहुंची तो तत्कालीन टास्क मैनेजर कुमार मयंक को मोहरा बना दिया। हालांकि, पुलिस की जांच अभी जारी है और बैंक अधिकारियों के अलावा इस प्रकरण में स्मार्ट सिटी के अधिकारियों की भूमिका की जांच भी की जा रही है।कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर जबलपुर स्मार्ट सिटी ने मदनमहल थाने में प्रकरण दर्ज कराया है। जबलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के खातों से खिलवाड़ का खुलासा तब हुआ जब राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विवि के 19 करोड़ के घोटाले की जांच हो रही थी।
अलग-अलग खाते से दो बार में 40 करोड़ रुपये ट्रांसफर
दस्तावेजों की जांच के दौरान ही जबलपुर स्मार्ट सिटी का अकाउंट भी सामने आ गया। जब इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया, तब वह आरबीएल बैंक की पिपरिया शाखा का टास्क मैनेजर था। वित्तीय अनियमितता का मामला 4 मार्च 2022 से 9 जून 2023 के बीच की समय अवधि का है। जबलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने 24 मार्च 2022 को आरबीएल में बचत खाता खोला था। 30 मार्च को कुमार मयंक ने 6.25 प्रतिशत ब्याज देने का वादा किया था। खाता खुलते ही उसमें 16 करोड़ 80 लाख 2 हजार 647 रुपये आरबीएल के नए खाते में स्थानांतरित किया गया। इसी वर्ष जून में अलग-अलग खाते से दो बार में 40 करोड़ रुपये आरबीएल में ट्रांसफर किए गये। जब विवरण पत्रों में अंतर पाया गया तब स्मार्ट सिटी को ब्याज में धोखे का पता चला। स्मार्ट सिटी को कुल एक करोड़ 31 लाख रुपये का नुकसान हो गया।
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