हर्षित तिवारी, खातेगांव(देवास)। जिले की खातेगांव तहसील में नर्मदा नदी के पावन तट पर बसा एक छोटा सा गांव तुरनाल, जो आध्यात्मिक और धार्मिक आस्था का अद्वितीय केंद्र माना जाता है। सामान्य सा दिखने वाला यह गांव पौराणिक मान्यताओं और ऐतिहासिक धरोहर को अपने आंचल में संजोए हुए है। श्री स्कन्द पुराण में वर्णित है कि भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम ने यहीं अपने पिता ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के देवलोक गमन के पश्चात श्राद्ध पक्ष में पिंडदान कर तर्पण किया था। कुछ वर्ष पूर्व बौद्ध धर्म के गुरु दलाई लामा भी यहां आ चुके हैं।

नर्मदा और गोनी का पवित्र संगम

तुरनाल गांव नर्मदा के उत्तर तट पर, नेमावर से कुछ ही दूरी पर, पूर्व दिशा में स्थित है। यहां नर्मदा और गोनी नदी का संगम स्थल है, जिसे अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि संगम पर किया गया पिंडदान और तर्पण पितरों की आत्मा को मोक्ष प्रदान करता है। यही कारण है कि इस गांव को “नर्मदा तट का गया” कहा जाता है।

गया जी जैसी महिमा

शास्त्रों में यह भी उल्लेख मिलता है कि जो फल गया जी (बिहार) में पितरों के निमित्त कर्म करने से मिलता है, वही पुण्य और फल तुरनाल में तर्पण करने पर सहज ही प्राप्त हो जाता है। इसी वजह से नर्मदा परिक्रमा करने वाले साधु-संत और श्रद्धालु विशेषकर श्राद्ध पक्ष के दिनों में यहां बड़ी संख्या में जुटते हैं।

आस्था और अध्यात्म का संगम

तुरनाल गांव अपने आप में धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है। यहां आने वाला हर व्यक्ति नर्मदा की पावन लहरों, गोनी नदी के शीतल संगम और “पांच लड्डू” के अद्भुत दृश्य से भावविभोर हो उठता है। श्रद्धालु बताते हैं कि इस स्थान पर खड़े होते ही मन में अद्भुत शांति और सुकून का अनुभव होता है। Lalluram.की टीम वहां मौजूद लोगों से चर्चा की। बताया कि- हर समाज के लोग यहां तर्पण करने आते है, जो गयाजी में तर्पण करने का पुण्य मिलता है, वही पुण्य पांच लड्डू और पूजा करने से मिलता है।

यहां की मान्यता श्रेष्ट

भगवान परशुराम ने अपने माता पिता के पिंड दान किये थे, सबसे श्रेष्ट नर्मदा का स्थान है। इस स्थान का बड़ा महत्व है। यहां गोनी नदी का संगम है और नर्मदा का दिव्य तट है। भगवान परशुराम की तपोस्थली है। समाजसेवी गोपाल पटेल ने बताया कि यहां बाहर से लोग श्राद्ध पक्ष में तर्पण के लिए आते हैं, जिससे की पितरों को मोक्ष मिले। खातेगांव विधायक आशीष शर्मा ने कहा -जो संकल्प हमने लिया है, भारत के मानचित्र पर तुरनाल गांव श्राद्ध के पिंडदान में एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में भविष्य में जाना जाएगा। अगले 6 माह में मूल रूप देने शुरू कर देंगे।

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