राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। किरायेदार से प्राॅपर्टी लेकर उस पर कब्जा करने के गौरखधंधा पर मध्यप्रदेश में पूरी तरह प्रतिबंध लगने जा रहा है. नए नियम इस तरह के बनाए जा रहे हैं कि किरायेदारी प्राॅपर्टी पर कब्जा न कर सकें. सीएम डाॅ मोहन यादव के निर्देश पर बनाए जा रहे नए नियम माॅडल किरायेदारी अधिनियम के नाम से जाने जाएंगे. नगरीय विकास एवं आवास विभाग माॅडल किरायेदारी अधिनियम का ड्राफ्ट तैयार कर रहा है. नियम बनाने का काम लगभग पूरा होने को है. इसमें किरायेदारी के मामले कोर्ट में जाने के बजाय उनका प्रशासनिक स्तर पर ही निराकरण करने का प्रावधान किया गया है. किराये पर देने पर प्राॅपर्टी मालिक को सुरक्षा निधि लेने का अधिकार रहेगा साथ ही एग्रीमेंट खत्म होने से पहले परिसर खाली कराने के लिए सक्षम प्राधिकारी के पास अपील करनी होगी.
किसी तरह का विवाद होने पर नल कनेक्शन, गैस सप्लाई, लिफ्ट, सीढ़ी, पार्किंग, बिजली, स्वच्छता जैसे सुविधाएं किरायेदार से नहीं छीनी जा सकेंगी. नई व्यवस्था में डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी किराया प्राधिकारी रहेंगें तो अतिरिक्त कलेक्टर कोर्ट को किराया न्यायालय के अधिकार मिलेंगे. अपील के लिए जिला जल की अध्यक्षता में रेंट ट्रिब्यूनल गठित होगा. किरायेदारी व्यवस्था पूरी तरह पोर्टल से संचालित होगी. प्राॅपर्टी किराये से देने पर पोर्टल में जानकारी अपलोड करना होगी. पोर्टल के जरिए लोग अपनी प्राॅपर्टी भी रिकाये पर लगा सकेंगे. वर्तमान में सिर्फ शहरों के लिए किरायेदारी अधिनियम 2010 लागू है. माॅडल किरायेदारी अधिनियम शहरों से लेकर गांव की सभी संपत्तियों पर लागू होगा. ड्राफ्ट को जल्द कैबिनेट बैठक में लाया जाएगा.
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