एसआर रघुवंशी, गुना। मध्य प्रदेश के गुना जिले का सारसवेह गांव में धर्मांतरण को लेकर लल्लूराम डॉट कॉम ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर जानने की कोशिश की कि आखिर धर्मांतरण कराने की पीछे की वजह क्या है। अंधविश्वास फैलाकर इन परिवारों की जान के साथ न सिर्फ खिलवाड़  किया गया। बल्कि उन्हें हिंदू देवी देवताओं की पूजा पाठ न करने की हिदायत देकर ईसाई धर्म से जोड़ने के लिए प्रेरित किया गया। साथ में उन्हें कुछ ऐसे पाठ भी पढ़ाए गए जिन्हें सुनकर आप ही हैरान रह जाएंगे। 

धर्मांतरण के लिए प्रार्थना सभा कराई

जिस घर का वीडियो वायरल हुआ, जहां धर्मांतरण के लिए प्रार्थना सभा कराई जा रही थी, जो वीडियो सामने आया उसी घर पर पहुंच कर हमने जाना। जहां न सिर्फ लोगों का ब्रेन बॉस किया जा रहा था। बल्कि उन्हें एक ऐसी शिक्षा दी जा रही थी, जिसके चलते इन परिवारों का भला कभी नहीं हो सकता था। परिवार का एक लड़का जो काम धंधे पर जाता था, उसे इतने चक्कर आए कि वह लड़खड़ा कर गिर जाता था। ऐसे में उसे डॉक्टर के पास ले जाने की सलाह दी जानी थी। लेकिन इन अंधविश्वासी लोगों ने उनके घर पर आकर उनका ब्रेन वॉश कर दिया। 

अधिकतर लोग मजदूरी और खेती किसानी पर आश्रित 

इस गांव के हालात बता रहे हैं अधिकतर गरीब सहरिया आदिवासी लोग यहां निवास करते हैं। शिक्षा का भी अभाव है। लिहाजा अधिकतर लोग मजदूरी और खेती किसानी पर आश्रित हैं। लेकिन जब इन्हें  कर्ज से भी मुक्त करने के लिए प्रार्थना सभा कराने की सलाह दी गई। तो परिवार जहां एक तरफ बीमारी से परेशान था, वहीं दूसरी तरफ कर्ज का बोझ भी इन लोगों को सता रहा था। इसी का फायदा उठाने के लिए इन्हें पढ़ा दिया गया धर्मांतरण का पाठ। धर्मांतरण कराने पहुंचे दंपति ने इस परिवार के मुखिया को कहा कि घर में सभा कराने के लिए खाना बनवाया जाए। दीपक रखकर प्रार्थना सभा कराई जाएगी। हुआ भी कुछ  ऐसा ही। 

ऐसे शुरू हुआ धर्मांतरण का खेल 

एक के बाद एक इसी गांव के लोग न सिर्फ इनके झांसे में आए, बल्कि घर में धर्मांतरण करने का काम शुरू हो गया । लेकिन इस अंधविश्वास को दूर करने के लिए और धर्मांतरण को रोकने के लिए कुछ लोगों ने पुलिस को सूचना दे दी कि गांव में धर्मांतरण कराया जा रहा है। हिंदूवादी संगठनों को भी यहां के लोगों ने फोन लगा दिए। शिकायत मिलते ही धरनावदा पुलिस मौके पर पहुंची तो मौक़े से धर्मांतरण कर रहे दंपति ने टॉयलेट जाने के बहाने अपने जूते छोड़कर दूसरे दरवाजे से खेतों की तरफ दौड़ लगा दी। पुलिस ने सभी को थाने ले जाकर पूछताछ की मौके से साक्ष्य जुटाये। पता चला कि बीमारी ठीक कराने के लिए प्रार्थना सभा कराकर धर्मांतरण कराया जा रहा था। उन्हें हिंदू देवी देवताओं को ना पूजने की हिदायत दी गई प्रसाद ना चढ़ाने की हिदायत दी गई थी। साथ ही खुद के काम को नेक बताकर उल्टे इन्हीं के परिवार से अनाज डोनेट करने की डिमांड की गई।  

यह कैसा धर्म जो साइंस को नहीं मानता

अब ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि यह कैसा धर्म जो साइंस को नहीं मानता। जो डॉक्टर को नहीं मानता। जो इलाज को नहीं मानता। मानता है तो सिर्फ प्रार्थना को और धर्मांतरण को। हालांकि इस मामले में डॉक्टर का साफ कहना है कि अगर कोई व्यक्ति बीमार होता है तो सबसे पहले उसे डॉक्टर को दिखाना आवश्यक है। उसकी जांच करना जरूरी है, तभी उसे बचाया जा सकता है। धार्मिक आस्थाएं अपनी जगह है, लेकिन बीमारी से लड़ने के लिए दवा और डॉक्टर की पहली आवश्यकता है। इसलिए ऐसे लोगों में जागरूकता लाने की आवश्यकता है। जिन लोगों को गुमराह किया गया है उनके परिवार के लोग आज भी अस्पताल नहीं पहुंचे। क्योंकि उन्हें रास्ता ही कुछ ऐसा दिखाया गया था।

धर्म के नाम पर लोगों को किया जा रहा गुमराह 

धर्मांतरण की इस तस्वीर ने न सिर्फ गरीब और मजदूर वर्ग के सहरिया लोगों को गुमराह किया। बल्कि उनका विश्वास डॉक्टर से हटा दिया जो अपने आप में बड़ा सवाल है। घर में बीमार लड़के और बूढ़ी मां का इलाज नहीं कराया गया और कोई अनहोनी घटना घटित हुई तो इसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा। और दूसरा बड़ा सवाल यह है कि अगर यहां पर इस तरह का पाठ पढ़ाया जा रहा है तो राजस्थान के बारां जिले में जहां से इस तरह का नेटवर्क संचालित है वहां की तस्वीर आखिर क्या कहती है। इसका भी पुलिस को पता लगाना जरूरी है। क्योंकि कोई धर्म नहीं कहता कि डॉक्टर का इलाज कराना जरूरी नहीं है। यहां तो लोग इतने खामोश हो गए हैं कि इन लोगों के चंगुल में फंसकर उन्हें अब समझ ही नहीं आ रहा कि करें तो क्या करें। 

शहर के लोगों का कहना है कि  ऐसे में पुलिस को प्रशासन को मिलकर इस गांव में जागरूकता लाने के लिए लोगों से मुलाकात करनी चाहिए। उन्हें आज की विकसित भारत की तस्वीर दिखानी चाहिए और इन गांवों के लोगों को फिर से बताना चाहिए की ईलाज ही सबसे बेहतर विकल्प है। बीमारियों के लिए इसके बाद दुआ और प्रार्थना अरदास यह हमारी आस्था है। लेकिन इससे इलाज संभव नहीं है।  

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