कमल वर्मा, ग्वालियर। एमपी के ग्वालियर से डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने आया है. जहां आयुर्वेदिक डॉक्टर को ठगों ने दो दिनों तक डिजिटल अरेस्ट कर 21 लाख रुपए ठग लिए. ठगों ने डॉक्टर को महालक्ष्मी ट्रांसपोटेशन कंपनी उनकी बताकर करोड़ों रुपए मनी लौंड्रिंग के जरिए इधर-उधर करने की बात कही. जब डॉक्टर ने उसकी कंपनी नहीं होने की बात कही तो ठगों ने उसे परिवार सहित गिरफ्तार कर उम्रकैद होने का डर दिखाया. वहीं CBI ऑफिसर बनकर जांच के तौर पर उनके अकाउंट में जमा 21 लाख रुपए अपने अकाउंट में RTGS करा लिए और तीन दिन में वापस की करने की बात कही. लेकिन जब पैसा वापस नहीं आया तो उन्हें ठगी का एहसास हुआ. जिसके बाद उन्होंने शिकायत की. वहीं साइबर क्राइम ब्रांच थाना पुलिस ने अज्ञात ठगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है.

दरअसल, गोला का मंदिर थाना क्षेत्र के हनुमान नगर में रहने वाले 60 साल के मुकेश शुक्ला आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं. वह घर से ही प्रैक्टिस करते हैं. 29 नवंबर की सुबह उनके मोबाइल पर एक कॉल आया. कॉल करने वाले ने उनसे बातचीत करते हुए बताया कि वह आईटी कंपनी से बोल रह है और उनके नाम पर चल रही महालक्ष्मी ट्रांस्पोटेशन कंपनी पर 9 लाख 40 हजार 44 रुपए की रिकवरी निकली है. जब उन्होंने महालक्ष्मी ट्रांस्पोटेशन कंपनी उनकी न होने की बात कही तो कॉल करने वाले ने बताया कि कंपनी तो आपके आधार नंबर पर ही बनी है. इसके बाद भी डॉक्टर ने कहा कि उसने न कोई कंपनी बनाई है न ही वह महालक्ष्मी ट्रांसपोटेशन कंपनी के बारे में कुछ जानता है.

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इस पर कॉल करने वाले ने कहा कि लगता है कि आपका आधार कार्ड का गलत उपयोग किया गया है. इसके बाद उसने पुलिस मुख्यालय दिल्ली में दो घंटे में शिकायत करने के लिए कहा. ऐसा नहीं करने पर उनकी गिरफ्तारी की बात कही. इस पर बुजुर्ग डॉक्टर घबरा गया. उन्होंने कहा कि मैं ग्वालियर में हूं और दो घंटे में दिल्ली कैसे पहुंच सकता हूं. ठग ने दिल्ली पुलिस में ऑनलाइन एफआईआर की बात कही. उनसे डॉक्टर को कॉल करने वाले ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय में पदस्थ सब इंस्पेक्टर अजय शर्मा का मोबाइल नंबर दिया और कहा कि आप इनको कॉल कीजिए. मैं भी उनको आपकी मदद के लिए बोलता हूं. जब उन्होंने अजय शर्मा से कॉल लगाकर बातचीत की तो अजय शर्मा ने उनके दस्तावेज मांगे और बताया कि उनके आधार कार्ड पर मनी लाड्रिंग का मामला दर्ज है.

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अजय शर्मा ने कहा कि कुछ दिन पहले मनीष चौधरी के यहां पर CBI की रेड हुई थी. वहां आपका यह आधार कार्ड मिला था. जिस पर करोड़ों रुपए का लेनदेन हुआ है. इसके बाद अजय ने डॉक्टर का फोटो लगा गोल्डन कार्ड दिखाया. साथ ही गिरफ्तारी वारंट भी दिखाया. जिसे देखने के बाद उनके पैरों तले जमीन निकल गई. क्योंकि कार्ड पर उनका नाम और फोटो लगा हुआ था. फ्रॉड ने उन्हें मजिस्ट्रेट के यहां से जारी हुआ वारंट भी दिखाया. जिसमें उसका फोटो और नाम से गिरफ्तारी वारंट था. इसके बाद उन्होंने उसे निगरानी में होने की बात कही. आरोपी लगातार दो दिन तक वीडियो कॉलिंग से उनपर नजर रखे हुए थे. इसके बाद कथित सब इंस्पेक्टर अजय ने आगे मदद करने के लिए CBI अधिकारी प्रवीण सूद से बात कराई.

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उसने अपने आप को प्रधानमंत्री के द्वारा डिजिटल अरेस्ट को लेकर नियुक्त करने की बात कही और उसने भी गिरफ्तारी के नाम डराया. फिर मदद का आश्वासन दिया. वहीं फर्जी CBI अधिकारी बन कर बात करने वाले व्यक्ति ने कहा कि फ्रॉड करने वाले आपके पीछे पड़े हैं. अगर आप निर्दोष हो तो हम आपकी मदद करेंगे. फिर अकाउंट डिटेल लेकर उसमें जमा पैसा 3 दिन में वापस करने की बात बोल CBI पुलिस के अकाउंट में RTGS करने के लिए कहा. अगले दिन डॉक्टर ने अपने अकाउंट से 21 लाख रुपए आरटीजीएस करा दिए. लेकिन तीन दिन बाद भी उनका पैसा वापस नहीं मिला तो उन्हें अपने साथ हुई ठगी का एहसास हुआ. फिर उन्होंने ने साइबर क्राइम थाने में जाकर उसकी शिकायत की. फिलहाल, इस मामले में साइबर क्राइम ब्रांच पुलिस ने अज्ञात ठगों के खिलाफ ठगी का मामला दर्ज कर शुरू कर उनकी तलाश शुरू कर दी है.

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