कमल वर्मा, ग्वालियर। नगर निगम के डिप्टी कमिश्नर अतिबल सिंह यादव पर उनके शासकीय वाहन के ड्राइवर रंजीत सिंह जाट ने प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं. रविवार रात 11 बजे कर्मचारी लेटर छोड़कर घर से गायब हो गया था. जिसके बाद पुलिस ने तत्काल गुमशुदगी मामला दर्ज कर तलाश शुरू की. सोमवार को पुलिस ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर उसे स्टेशन के पास से बरामद किया. ड्राइवर का कहना है कि वह रात को मथुरा गया था, जहां आत्महत्या का विचार मन से निकल गया.
दरअसल, ग्वालियर के देहात बिजौली थाना क्षेत्र के बड़ागांव हाइवे स्थित अंशराज होटल के पीछे रहने वाला रंजीत सिंह जाट नगर निगम में आउटसोर्स कर्मचारी है. वह नगर निगम डिप्टी कमिशनर अतिबल सिंह यादव का वाहन चलाता है. रविवार-सोमवार दरमियानी रात 1 बजे रंजीत का साला बिजौली थाना पहुंचा और बताया कि उसके जीजा रंजीत जाट चार-पांच घंटे से गायब हैं. जब उनका कमरा चेक किया तो एक लेटर मिला है, जिसमें अधिकारी अतिबल की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या करने की बात लिखी हुई हैं. यह दो पेज का नोट हाथ में आते ही पुलिस हरकत में आई.
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एसडीओपी संतोष पटेल ने तत्काल मामले को वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया. वहीं बिजौली थाना प्रभारी प्रीति भार्गव ने अपनी टीम के साथ कर्मचारी की तलाश शुरू कर दी. सोमवार सुबह कर्मचारी के मोबाइल की लोकेशन मथुरा स्टेशन मिली, जिसके आधार पर पुलिस ने स्टेशन के पास उसे बरामद किया. हालांकि, अफसरों का कहना है कि वह खुद थाना लौट आया था. लौटने के बाद रंजीत का कहना है कि वह आत्महत्या करने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंचा था, लेकिन पत्नी और बच्चों की फिक्र सताने पर वापस लौट आया.
रंजीत ने लेटर में लिखी ये बातें
” मेरा नाम रंजीत सिंह जाट है. मैं नगर निगम में आउससोर्स कर्मचारी (ड्राइवर) हूं. अभी मैं दो साल से डिप्टी कमिश्नर अतिबल सिंह यादव के यहां दोपहर 2 बजे से रात 10 बजे की ड्यूटी करता हूं. मुझे अतिबल सिंह यादव के द्वारा मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत प्रताड़ित किया जा रहा है. अब मैं क्या करुं, इनके द्वारा दारू पीकर मुझसे गालियां दी जाती हैं. धक्का-मुक्की की जाती है. जो मेरा काम नहीं है, जैसे झूठे बर्तन उठवाना, साफ-सफाई करवाते हैं. मेरे मना करने पर नौकरी से निकलवाने की धमकी देते हैं. दबाव में आकर मुझे यह काम करना पड़ता है. उसके बाद भी रात को दारू पीकर गालियां देते हैं.
उसने आगे लिखा- मेरी ड्यूटी दोपहर 2 से रात 10 बजे तक की है, लेकिन रात 12 से 1 बजे तक छोड़ते हैं. मेरा घर हाईवे पर 15 किलोमीटर दूर है, जिससे कभी भी मेरे साथ घटना हो सकती है. 23 नवंबर की रात 10 बजे मुझे डिप्टी कमिश्नर ने गालियां दीं तो मैंने विरोध किया, जिस पर उनका कहना था कि कल से नौकरी पर नहीं आना, अब मैं अपने परिवार को मरने नहीं छोड़ सकता हूं. इसलिए परेशान होकर आत्महत्या करने जा रहा हूं. इधर, डिप्टी कमिश्नर ने सारे आरोप को झूठा बताया है. वहीं SDOP संतोष पटेल का कहना है कि आउटसोर्स कर्मचारी ने निगम के अधिकारी पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
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