कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। मध्य प्रदेश की ग्वालियर हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश के डीजीपी से पूछा है कि प्रदेश के कितने थानों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और कितने खराब हैं। डीजीपी के जवाब के आधार पर हाईकोर्ट तय करेगा की सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश की अवमानना हुई है या नहीं? मामले की सुनवाई 10 दिसंबर को होगी

क्या है पूरा मामला ?

दरअसल यह पूरा मामला मुरैना जिले के सबलगढ़ का है, जहां अमरलाल रावत और उसके साथियों ने 17 जून 2024 को सबलगढ़ थाने में दर्ज FIR को निरस्त करने की मांग की। महेंद्र सिंह सिकरवार नाम के व्यक्ति ने दोनों के खिलाफ 16 जून 2024 को ट्रैक्टर ट्राली चोरी करने का आरोप लगाया। जबकि अमरलाल रावत द्वारा दावा किया गया कि महेंद्र सिंह उसकी जमीन पर लगे पेड़ काट रहा था, उन्हें देखते हुए वह गाड़ी छोड़कर भाग गया। जब अमरलाल थाने गया तो पुलिस ने उनके आवेदन पर कार्रवाई नहीं की, बल्कि ASI पंचम सिंह गुर्जर ने महेंद्र सिंह सिकरवार के साथ मिलकर उन्ही के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज कर दी। ऐसे में जब उनके द्वारा 16 और 17 जून को पुलिस थाना सबलगढ़ के सीसीटीवी कैमरा फुटेज आईटीआई के माध्यम से मांगे गए,तो पुलिस ने पेनड्राइव में 17 जून के कुछ फुटेज तो दे दिए। जबकि 16 जून के फुटेज उस तारीख और समय के समय लाइट मौजूद न होने का हवाला देते हुए वह फुटेज देने से इनकार कर दिया गया। 

डीजीपी को जवाब पेश करने के निर्देश 

इसके बाद आकाश रावत और अमरलाल रावत ने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिस पर हाईकोर्ट द्वारा मुरैना के सबलगढ़ थाना पुलिस से थाना परिसर में लगे सभी CCTV कैमरे के फुटेज मांगे गए, जो कि कोर्ट में प्रस्तुत नहीं किए गए। ऐसे में हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए MP डीजीपी के साथ मुरैना एसपी को जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट के दिए निर्देश में कहा गया है कि मध्य प्रदेश के डीजीपी को यह बताना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में अभी तक क्या कार्रवाई की गई है? यानी कि प्रदेश के कितने थानों में कितने सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और उनमें से कितने कमरे चालू है?

कोर्ट ने मुरैना एसपी से भी मांगा जवाब 

वहीं मुरैना एसपी को भी बताना है कि सबलगढ़ थाने के सीसीटीवी कैमरे काम क्यों नहीं कर रहे, उन्हें मुरैना जिले के प्रत्येक पुलिस थाने में लगे सीसीटीवी कैमरों की जानकारी के साथ ही यह भी बताना होगा कि कितने कैमरे वर्तमान में काम कर रहे हैं। इसके साथ ही माननीय हाईकोर्ट ने यह जानकारी भी मांगी है कि लाइट की गैरमौजूदगी की स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई? हाईकोर्ट जवाब पढ़ने के बाद तय करेगी कि यह मामला अवमानना का है या नहीं? बहरहाल मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।

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