कर्ण मिश्रा, ग्वालियर. शहर में फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए 12 साल तक नौकरी करने के मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट ने सख्त एक्शन लिया है. कोर्ट ने फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे गौतम भार्गव को तत्काल प्रभाव से हटाने का आदेश दिया है.
दरअसल, मामला 2013 का है. जब मलेरिया टेक्निकल सुपरवाइजर पद पर भर्ती हुई थी. नितिन गौतम और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए मुकेश, विनोद कुमार शर्मा, दाऊदयाल, गौरव भार्गव और कृष्ण कुमार शर्मा के चयन को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. याचिका में बताया गया कि लिखित परीक्षा में ज्यादा अंक मिलने के बाद भी उनका चयन केवल इसलिए नहीं हो पाया, क्योंकि साक्षात्कार में उन्हें जानबूझकर कम नंबर दिए गए.
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कोर्ट को यह भी बताया गया कि नियुक्ति के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था. जिसमें स्थानीय कलेक्टर, सीएमएचओ और स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी बतौर सदस्य शामिल थे. विशेष कर गौरव भार्गव की नियुक्ति के मामले में यह खुलासा हुआ कि उसने जिला अस्पताल शिवपुरी में 24 जनवरी से लेकर 24 अप्रैल 2006 तक बतौर ड्रेसर सेवाएं दी. इसके संबंध में तत्कालीन सीएमएचओ ने 25 अप्रैल 2006 को प्रमाण पत्र जारी किया.
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हालांकि, आरटीआई से मिली जानकारी में यह सब झूठा पाया. इस पर हाईकोर्ट को बताया गया कि गौरव ने बतौर वालंटियर सेवाएं दी थी. कोर्ट ने आश्चर्य जाहिर करते हुए कहा कि ड्रेसर जैसे महत्वपूर्ण पद पर कोई वॉलिंटियर के रूप में कैसे सेवाएं दे सकता है? लिहाजा फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर 12 साल से नौकरी कर रहे गौरव भार्गव को कोर्ट ने तुरंत हटाने का आदेश दिया. कोर्ट के आदेश के चलते अब गौरव के पद पर नए सिरे से भर्ती हो सकती है.
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