कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। भारत-पाक युद्ध के दौरान ग्वालियर पुलिस के तैयार किये गए “ब्लड ग्रुप अपडेट सिस्टम” ने 9 दिन की मासूम बच्ची को नई ज़िंदगी दे दी। जी हां, ग्वालियर ट्रेफ़िक सिपाही ने पन्ना में तैनात ट्रेफ़िक जवान की 9 साल की बेटी को ब्लड डोनेट किया। पन्ना से बेटी के इलाज के लिए ग्वालियर आए पुलिस जवान की बेटी को ब्लड की जरूरत पड़ी, तो ग्वालियर पुलिस के “ब्लड ग्रुप अपडेट सिस्टम” में रजिस्टर्ड ट्रैफिक सिपाही से मैच हुआ। जिसके बाद ट्रेफ़िक सिपाही ने 9 दिन की बच्ची को ब्लड डोनेट किया।

आरक्षक ने नवजात को ब्लड डोनेट कर बचाई जान 

दरअसल, भारत-पाक तनाव के बीच पुलिस मुख्यालय से समस्त पुलिस जवानों का ब्लड ग्रुप अपडेट कराया गया था। इसका उद्देश्य स्टाफ के ब्लड ग्रुप की जानकारी होने पर किसी भी विषम परिस्थितियों में घायलों की मदद कर जान बचाना था। इसी क्रम में पन्ना में तैनात ट्रैफिक सिपाही रविकरन राजपूत की 9 दिन की बच्ची को ताजा ब्लड की जरूरत थी। ऐसे में उन्हें जानकारी लगी तो ग्वालियर ट्रेफ़िक थाने के आरक्षक संजय गुर्जर से मदद मांगी गई। जिस पर आरक्षक ने फौरन अस्पताल पहुंचकर नवजात को ब्लड डोनेट किया और उसकी जान बचाई। 

दुधमुंही बच्ची का ब्लड ग्रुप ओ निगेटिव था

बताया गया कि नौ दिन की दुधमुंही बच्ची का ब्लड ग्रुप ओ निगेटिव था जो कि आसानी से मिल नहीं रहा था। ऐसे में बच्ची के पिता को प्रदेश भर में अपडेट हुए ब्लड ग्रुप मुहिम की याद ताजा हुई और उसने फौरन अपने वरिष्ठ अधिकारियों को ग्वालियर पुलिस से संपर्क करने को कहा। जिसके बाद झांसी रोड यातायात थाना टीआई केपी तोमर ने आरक्षक को प्रोत्साहित किया और एक नवजात बच्ची की जान बच गई। 

कहा- भविष्य में जरुरत पड़ी तो जरूर करेंगे ब्लड डोनेट

वहीं ब्लड डोनेट करने वाले आरक्षक संजय गुर्जर का कहना है कि उसे एक बच्ची की जान बचाकर बहुत खुशी हो रही है। सभी को ऐसे लोगों की मदद करनी चाइए। अगर भविष्य में किसी को उसके खून की जरूरत पड़ेगी तो वहां ब्लड को डोनेट जरूर करेंगे। वरिष्ठ अधिकारियो ने भी इसे सराहा है।

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